देश की राजधानी दिल्ली एक बार फिर बाढ़ के मुहाने पर पर खड़ी है. यमुना नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. यह एक बार फिर खतरे के निशान को पार कर गया है, जिसके बाद प्रशासन भी अलर्ट हो गया है. बाढ़ के खतरे को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने यमुना नदी के आसपास के इलाकों को खाली कराना शुरू कर दिया है. हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है जब यमुना ने इस तरह विकराल रूप धारण किया हो.
पिछले 63 साल में तीसरी बार हुआ है जब यमुना नदी खतरे के निशान को पार कर गई है. इससे पहले 1978 और 2023 में भी दिल्ली ने इसी तरह की खतरनाक बाढ़ देखी थी. इस बार 3 सितंबर 2025 की रात को यमुना का जलस्तर 207.43 मीटर तक पहुंच गया, जो एक खतरनाक संकेत है. चलिए जानते हैं कि यमुना के कारण कब-कब दिल्ली वालों ने मुसीबत झेली है.
2025 जब फिर डूबने लगी दिल्ली
इस साल सितंबर 2025 में यमुना का जलस्तर 207.43 मीटर तक पहुंच गया, जिससे दिल्ली के कई इलाकों में बाढ़ आ गई. हथिनी कुंड बैराज से लगातार पानी छोड़े जाने के कारण यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ा. निगमबोध घाट, दिल्ली का सबसे पुराना और बड़ा श्मशान घाट पानी में डूब गया. बेला रोड, मजनू का टीला, आईएसबीटी, सोनिया विहार, गीता कॉलोनी जैसे इलाके पूरी तरह से जलमग्न हो गए. दक्षिणी दिल्ली के गीतांजलि एनक्लेव में तो गर्दन तक पानी भर गया, जिसकी वजह मुंगेशपुर नाले में आई दरार थी. 14,000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया. आईटीओ, मयूर विहार और गीता कॉलोनी में राहत शिविर बनाए गए. इस बाढ़ ने न सिर्फ लोगों के घरों को प्रभावित किया, बल्कि किसानों के लिए भी बड़ी मुश्किल बनकर सामने आई. पल्ला गांव, बुराड़ी, वजीराबाद जैसे इलाके जहां सब्जियां, फूल और धान की खेती होती है, वो सब पानी में डूब गए, लाखों रुपये की फसलें बर्बाद हो गईं.
यमुना का सबसे ऊंचा जलस्तर रिकॉर्ड
11 जुलाई 2023 को यमुना ने अपना सबसे ऊंचा जलस्तर दर्ज किया था, जो 208.66 मीटर था. यह अब तक का सबसे ज्यादा रिकॉर्ड किया गया जलस्तर है. इस बाढ़ में भी दिल्ली के बड़े हिस्से पानी में डूब गए थे और लाखों लोग प्रभावित हुए थे. प्रशासन को बड़े स्तर पर राहत कार्य चलाने पड़े थे.
जब आई थी सदी की सबसे बड़ी बाढ़
9 सितंबर 1978 को यमुना का जलस्तर 207.49 मीटर पहुंचा था. यह वो समय था जब दिल्ली में बाढ़ को लेकर सिस्टम उतना विकसित नहीं था, जितना आज है. इस बाढ़ ने लाखों लोगों को बेघर कर दिया था, दिल्ली की सड़कों, बस अड्डों, बाजारों, कॉलोनियों में पानी भर गया था. इसे दिल्ली की सदी की सबसे बड़ी बाढ़ कहां गया था.
क्यों आती है बार-बार बाढ़?
1. भारी बारिश - उत्तराखंड और हिमाचल जैसे इलाकों में जब भारी बारिश होती है, तो यमुना में पानी बढ़ने लगता है.
2. हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़ना - जब बांधों में पानी ज्यादा भर जाता है, तो उसे छोड़ना पड़ता है, इससे यमुना अचानक उफान पर आ जाती है.
3. निचले इलाकों की स्थिति खराब - दिल्ली के कई इलाके यमुना के किनारे बसे हैं, जो बहुत ही निचले हैं. जैसे ही यमुना का जलस्तर बढ़ता है, ये इलाके सबसे पहले प्रभावित होते हैं.
4. अवैध निर्माण - यमुना के किनारे बहुत से अवैध निर्माण हो गए हैं, जिससे नदी के नेचुरल बहाव में दिक्कत आती है. यह भी पढ़ें : भारत में बाढ़ से हाहाकार, लेकिन इन देशों का सबसे बेहतरीन है ड्रेनेज सिस्टम; सड़क पर गिरते ही सूख जाता है पानी