दिल्ली में हुए धमाके को लेकर अब एक बड़ा राज सामने आया है. जांच में पता चला है कि लाल किले के पास जिस कार में विस्फोट हुआ था, उसमें मौजूद शख्स कोई और नहीं बल्कि आतंकी डॉक्टर उमर मोहम्मद था. डीएनए रिपोर्ट में उमर मोहम्मद और उसकी मां के सैंपल्स पूरी तरह मेल खा गए हैं, जिससे यह पुष्टि हो गई है कि धमाके में मारा गया व्यक्ति वही था. विस्फोट इतना भयानक था कि उमर मोहम्मद के शरीर के टुकड़े कार के अंदर बुरी तरह जल चुके थे. इसी कारण जांच एजेंसियों के लिए उसकी पहचान तय करना शुरू में बेहद मुश्किल हो गया था.
आतंकी का डीएनए हुआ मैच
पुलिस का कहना है कि लाल किला ब्लास्ट साइट से जो जैविक नमूने इकट्ठा किए गए थे, उनकी फोरेंसिक जांच में यह साफ साबित हो गया है कि धमाके के वक्त कार चला रहा व्यक्ति डॉक्टर उमर ही था. उमर की मां के डीएनए सैंपल पुलवामा से मंगलवार को लिए गए थे और फिर उन्हें दिल्ली लाकर जांच के लिए भेजा गया. दोनों के डीएनए का मिलान विस्फोट स्थल से मिले अवशेषों और जले हुए शरीर के टुकड़ों से किया गया, जिसके नतीजों ने सारी शंकाओं को खत्म कर दिया.
कान के मैल से भी लिया जा सकता है डीएनए सैंपल
एक छोटे से नमूने ने बड़े सवालों के रास्ते खोल दिए हैं कि क्या कान का मैल (earwax) भी किसी की पहचान बताने में मदद कर सकता है? फॉरेंसिक विज्ञान में लगातार नई खोजें हो रही हैं और कान का मैल अब उन संभावित सैंपलों में शामिल होने लगा है जिन्हें डीएनए टेस्ट के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. अक्सर नजरअंदाज किया जाने वाला यह पदार्थ, जो कि कान की सफाई के दौरान निकलता है, बाहरी रूप से छोटा दिखता है लेकिन इसमें कोशिकाओं के साथ-साथ न्यूक्लियर और माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए दोनों मौजूद हो सकते हैं.
कैसे लिया जाता है सैंपल
फॉरेंसिक विशेषज्ञ बताते हैं कि कान के मैल से डीएनए निकालने की प्रक्रिया दूसरों नमूनों जैसी ही होती है. इसमें पहले सैंपल को सुरक्षित तरीके से इकट्ठा किया जाता है, फिर प्रयोगशाला में डीएनए एक्सट्रैक्शन और प्राइमरी परीक्षण किए जाते हैं. इसके बाद STR प्रोफाइलिंग या माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए अनुक्रमण से मिलान किया जाता है. कुछ शोधों और मामलों में कान के मैल से टेस्ट की सफलता दर करीब 80% तक बताई जाती रही है, हालांकि यह नमूने की शुद्धता और उम्र पर निर्भर करता है.
किन-किन चीजों से लिया जा सकता है सैंपल
हालांकि कान का मैल एक गैर-आक्रामक और आसानी से मिलने वाला स्रोत है पर इसमें सीमाएं भी हैं. खुले स्थानों पर पड़ा या जला हुआ मैल संदूषित या डीग्रेड हो सकता है, जिससे डीएनए खराब हो जाता है. वहीं, गंभीर दुर्घटना या विस्फोट जैसे मामलों में नमूने जलने या मिश्रित होने से पहचान कठिन हो जाती है, तब हड्डी, दांत, नाखून या माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए अधिक विश्वसनीय साबित होते हैं. जांच एजेंसियां अक्सर रक्त, लार, त्वचा के स्वैब, बालों की जड़ों, नाखून और हड्डियों के टुकड़ों का भी उपयोग करती हैं जब कान का मैल उपलब्ध न हो या वह उपयोगी न हो.
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