Delhi Pollution During Lockdown: राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के चलते हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात बने हुए हैं. हर तरफ स्मॉग की चादर बिछी हुई है और लोग जहरीली हवा में सांस लेने के लिए मजबूर हैं. आलम ये है कि प्रदूषण का स्तर सामान्य से 100 गुना तक ज्यादा हो गया है. इसी बीच दिल्ली सरकार की तरफ से ऐलान किया गया कि राजधानी में दिवाली के बाद से ऑड-ईवन स्कीम लागू की जाएगी, जिसमें आधी गाड़ियों को सड़कों से हटाने का प्लान था. इसी बीच अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फॉर्मूले को ही अवैज्ञानिक करार दे दिया है. इसी बीच आज जानते हैं कि जब दिल्ली की सड़कों पर कोई गाड़ी नहीं थी, तब प्रदूषण का क्या स्तर था...


लॉकडाउन में सब हो गया था बंद
हम यहां बात कोरोना लॉकडाउन की कर रहे हैं, जब किसी को भी बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी. जब 2020 में केंद्र सरकार की तरफ से देशव्यापी लॉकडाउन लगाने की घोषणा की गई. जिसके बाद दिल्ली समेत तमाम राज्यों में सख्त पाबंदी लगा दी गई, इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर बाकी किसी को भी सड़क पर निकलने की इजाजत नहीं थी, पूरा देश घरों के अंदर बंद हो गया था. 


ऑड-ईवन फॉर्मूले के बाद सड़क से करीब 30 फीसदी गाड़ियां गायब हो जाती हैं, दिल्ली सरकार के मुताबिक इससे प्रदूषण के स्तर में कमी आती है. हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये मामूली अंतर होता है. हालांकि जब लॉकडाउन के दौरान गाड़ियां पूरी तरह से बंद हो गई थीं तो दिल्ली में प्रदूषण का स्तर काफी नीचे गिर गया था. 


दिल्ली में साफ हवा का टूटा था रिकॉर्ड
कोरोना लॉकडाउन के चलते दिल्ली में लोगों ने कुछ ऐसा देखा, जो पहले कभी नहीं हुआ था. दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स इस दौरान 37 तक पहुंच गया था, जो मानसून के महीने में भी नहीं होता है. मार्च के महीने में दिल्ली का AQI 50 के नीचे था, यानी समान्य से भी नीचे प्रदूषण का स्तर था. इस दौरान दिल्ली का आसमान गहरा नीला भी दिखाई दिया था, लोगों ने पहली बार इस तरह के माहौल और हवा में सांस ली थी. 


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