Country Without National Anthem: ज्यादातर देशों के लिए राष्ट्रगान एकता और पहचान का प्रतीक होता है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि एक ऐसा भी देश है जिसे अपना कोई ओरिजिनल राष्ट्रगान नहीं है. इसके पीछे की वजह राजनीति और जातीय बंटवारा है. हम बात कर रहे हैं साइप्रस की. इस देश का मामला दुनिया में काफी अनोखा है. आइए जानते हैं इसके बारे में पूरी जानकारी.
बिना राष्ट्रगान वाला देश
साइप्रस देश का अपना कोई अनोखा राष्ट्रगान नहीं है. यह आधिकारिक तौर पर ग्रीक राष्ट्रगान हिम टू लिबर्टी का इस्तेमाल करता है. यह सामान्य व्यवस्था सिर्फ सांस्कृतिक पसंद की वजह से नहीं है बल्कि अनसुलझी राजनीतिक वास्तविकताओं पर आधारित है जो देश की आजादी से ही चली आ रही हैं.
बिना राष्ट्रगान के आजादी
जब 1960 में साइप्रस को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी तो उसके संविधान में झंडे और प्रतीक जैसे राष्ट्रीय प्रतीकों को साफ तौर पर परिभाषित किया गया था. लेकिन उसमें राष्ट्रगान का कोई भी जिक्र नहीं था. इस चूक की वजह से एक संवैधानिक कमी पैदा हुई. उस समय नए बने देश में मुख्य रूप से दो बड़े समुदाय थे. एक ग्रीक साइप्रस और दूसरा तुर्की साइप्रस. इन दोनों की मजबूत सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान थी.
सामुदायिक विवाद ने सहमति बनने से रोका
ग्रीक और तुर्की समुदाय एक ऐसे राष्ट्रगान पर सहमत नहीं हो पाए जिसे दोनों पक्ष स्वीकार कर सकें. किसी भी राष्ट्रगान को अगर एक समुदाय के पक्ष में माना जाता था तो दूसरा समुदाय उसे खारिज कर देता था. बस यही वजह रही कि साइप्रस आजाद देश के रूप में अपने शुरुआती सालों में बिना किसी आधिकारिक तौर पर घोषित राष्ट्रगान के रहा.
1966 का फैसला
1963-64 के दौरान राजनीतिक तनाव बढ़ गया था. दरअसल तुर्की साइप्रस के प्रतिनिधियों ने सरकार से इस्तीफा दे दिया था. 1966 में मंत्री परिषद ने एक तरफा रूप से ग्रीस के राष्ट्रगान हिम टू लिबर्टी को साइप्रस के राष्ट्रगान के रूप में अपना लिया. इस फैसले ने देश के ग्रीक बहुसंख्यक इलाकों में पहले से चली आ रही प्रथा को औपचारिक रूप दे दिया.
एक बंटा हुआ द्वीप
आज यह स्थिति साइप्रस के राजनीतिक बंटवारे को दिखाती है. ग्रीक साइप्रस नियंत्रित साइप्रस गणराज्य ग्रीक राष्ट्रगान का इस्तेमाल करता है. वहीं उत्तरी साइप्रस जिसे सिर्फ तुर्की मान्यता देता है इस्तिकलाल मार्शी का इस्तेमाल करता है. पूरे द्वीप पर कोई एक राष्ट्रगान नहीं गया जाता.
ये भी पढ़ें: इस देश में होते हैं सबसे ज्यादा बाल विवाह, जानें क्या है भारत की स्थिति