Custom Of Hanging Dead Bodies: अलग-अलग धर्म के लोग अलग-अलग रीति-रिवाज के तहत अपनी जिंदगी जीते हैं. और जिंदगी जीने के साथ ही मरने के बाद भी उन्हीं रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है. जिस तरह हिंदू धर्म में किसी इंसान की मृत्यु के बाद उसका दाह संस्कार किया जाता है. इस्लाम धर्म में और ईसाई धर्म में शव को दफनाया जाता है.

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तो पारसी धर्म में शव को टावर ऑफ़ साइलेंस में रखा जाता है. लेकिन क्या आपको पता है. दुनिया में एक देश ऐसा भी है. जहां शवों को न दफनाया जाता है. और न ही उनका दाह संस्कार किया जाता है. बल्कि यहां शवों को लटका दिया जाता है. क्यों किया जाता है ऐसा क्या है इसके पीछे कारण जानकर उड़ जाएंगे होश. 

फिलिपींस की यह जनजाति शवों को लटकाती है

दुनिया भर में अलग-अलग तरह के रीति रिवाज को माना जाता है. इनमें कुछ रीति रिवाज ऐसे भी होते हैं जिन्हें देखने के बाद आप के होश उड़ जाते हैं. मृत्यु के बाद भी कई देशों में अलग-अलग तरीके से अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है. हिंदू धर्म में जहां सभा को जलाया जाता है. इसके अलावा ईसाइयों और मुस्लिमों में शव को दफनाया जाता है. तो वहीं भी फिलिपींस की एक जनजाति के लोग मृत्यु के बाद अपने परिजनों के शव को लटका देते हैं. एक लंबे अरसे से फिलीपींस के इगोरोट लोग इस प्रथा का पालन करते आ रहे हैं. 

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2000 साल पुरानी है परंपरा

फिलिपींस में उत्तरी लूजोन के कॉर्डिलेरा सेंट्रल पहाड़ों में बसा सागाडा गांव में इस प्रथा का पालन किया जाता है. कहा जाता है कि यह प्रथा तकरीबन 2000 सालों से चली आ रही है. अंतिम संस्कार की प्रथा में इगोरोट लोग अपने हाथों से ताबूतों पर नक्काशी करते हैं. उसके बाद अपने मृतकों के उन्हीं नक्काशीदार ताबूतों में दफनाते हैं. इसके बाद उन ताबूतों को चट्टान के किनारे पर बांधा जाता है. या फिर इसके लिए किसी बड़ी कील का इस्तेमाल किया जाता है. इन ताबूतों को जमीन से काफी ऊपर लटकाया जाता है. 

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क्यों किया जाता है ऐसा?

दरअसल इस प्रथा के पीछे दो अलग-अलग मत हैं. इगोरोट जनजाति के लोग अपने परिजनों के शवों को इसलिए हवा में लटकते हैं. ताकि वह उनकी आत्मा के करीब रह सकें. तो वहीं इस प्रथा को लेकर यह भी कहा जाता है कि इगोरोट जनजाति के बुजुर्गों को जमीन में दफन होने का डर था. वह करने के बाद दफन नहीं होना चाहते थे. वह चाहते थे कि ऐसी जगह रखा जाए जहां उनकी लाश ज्यादा समय तक सुरक्षित रहे. इसलिए ही इस प्रथा का पालना किया जाता है. 

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