पिछले कुछ महीनों में देश में पति-पत्नी के बीच बेवफाई के ऐसे खतरनाक मामले देखने को मिले हैं कि जिसने भी सुना वह हैरान रह गया. चाहे वह राजा रघुवंशी और सोनम रघुवंशी का मामला हो या फिर मेरठ का नीला ड्रम हत्याकांड साहिल-मुस्कान का केस. इन दोनों केस ने समाज में बेवफाई की इतनी ज्यादा नकारात्मक छवि बना दी है कि कुछ लोग तो अब शादी के नाम से डरने लगे हैं. वहीं हाल ही में बेवफाई को लेकर हुए एक सर्वे में एक ऐसी बात निकलकर सामने आई है, जो इन जैसे केस के आगे बहुत हैरान करती है. 

ग्लीडेन नाम के एक डेटिंग एप ने आईपीसॉस के साथ मिलकर एक सर्वे किया है, जिसमें बताया गया है कि 2023 के बाद से देश में बेवफाई के मामलों में 16 फीसदी की कमी देखने को मिली है. ये सर्वे बताते हैं कि भारतीयों के रिश्तों में धोखा देने की प्रवृत्ति में गिरावट दर्ज की गई है. 

इतने फीसदी लोगों ने खुद स्वीकारी बेवफाई

हालांकि यह आंकड़ा न सिर्फ व्यवहारिक बदलाव को दर्शाता है, बल्कि सोच और वैचारिक दृष्टिकोण में होने वाले परिवर्तन के बारे में भी बताता है. ग्लीडेन दुनिया का सबसे बड़ा एक्स्ट्रा मैरिटल डेटिंग एप है, जिसने कि इप्सोस (IPSOS) रिसर्च के साथ मिलकर सर्वे किया है और इसी सर्वे में पता चला है कि साल 2025 में 48 फीसदी लोगों ने खुद कहा है कि उन्होंने अपने पार्टनर को धोखा दिया है. जबकि 2020 में यह संख्या 57 फीसदी थी. विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि बदलाव सिर्फ व्यवहार में ही नहीं, बल्कि लोगों की सोच में भी देखने को मिल रहा है. 

भाषा में भी आया बदलाव

यह जरूरी नहीं है कि लोग पहले से ज्यादा वफादार हो गए हैं, लेकिन अब भी वे वफादारी के मुद्दे पर खुलकर बात करते हैं और इस पर अपने विचार भी रखते हैं. इस बात को लोगों की निजी जिंदगी को लेकर समाज में खुली सोच का हिस्सा माना जा रहा है. यह रिपोर्ट बताती है कि लोग अब अपने पार्टनर के अलावा किसी दूसरे रिश्ते में बाहर संबंध नहीं बना रहे हैं. फर्क बस इतना है कि लोग पहले से ज्यादा ईमारदार हो गए हैं, कई बार पहले जो बातें छिप-छिपकर होती थीं, अब वे खुलकर और पार्टनर के सामने होने लगी हैं. आज के वक्त में लोग 'चीटिंग' की जगह 'च्वाइस' और 'बेटरियल' की जगह 'बाउंड्रीज' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने लगे हैं. 

ओपेन रिलेशनशिप स्वीकार कर रहे लोग

समाज में आज के वक्त में मोनोगैमी यानि कि सिर्फ एक पार्टनर के साथ जीवन बिताने की अवधारणा अब पहले की तरह से लोकप्रिय नहीं रही. लोगों का मानना था कि इंसान स्वभाव से मोनोगैमस नहीं है. सर्वे के अनुसार 69 फीसदी लोगों ने कहा कि अब समाज में ओपेन रिलेशनशिप ज्यादा स्वीकार्य है. वहीं 35 फीसदी लोगों का कहना था कि वे ओपेन रिलेशनशिप में रह चुके हैं. यहां पर रिश्ते अब सिर्फ शारीरिक संबंधों तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि आपसी समझौते, परस्पर सम्मान और तय नियमों पर आधारित होते हैं. इस बदलाव में महिलाएं अहम भूमिका निभा रही हैं. 

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