Palestine Recognition: गाजा पर इजरायल के लगातार हमलों के बीच फिलीस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने के लिए पूरी दुनिया में होड़ मची हुई है. इजराइल के कई सहयोगी देशों ने औपचारिक रूप से फिलीस्तीन को मान्यता दे दी है. यह कदम सबसे पहले ब्रिटेन ने उठाया था. ब्रिटेन ने ही इजराइल के निर्माण और फिलिस्तीनियों के विस्थापन में अहम भूमिका निभाई थी. ब्रिटेन के बाद कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल जैसे देशों ने भी फिलीस्तीन को मान्यता देने के बयान जारी किए हैं. लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या मान्यता देने के लिए कोई प्रमाण पत्र जारी किया जाता है? इससे पहले जानते हैं क्या है पूरा मामला.
क्या है पूरा मामला
दरअसल फिलिस्तीन एक ऐसा राज्य है जो कानूनी रूप से तो मौजूद है, लेकिन दुनिया के नक्शे पर फिलिस्तीन नाम का कोई आधिकारिक देश नहीं है. इसके बावजूद भी फिलीस्तीन को अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है. फिलिस्तीन के विदेशों में राजनयिक मिशन भी है और वह ओलंपिक जैसे कई वैश्विक कार्यक्रमों में हिस्सा लेता है. आपको बता दें कि फिलीस्तीन के पास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाएं और राजधानी व स्थाई सेना नहीं है.
क्यों दे रहे बाकी देश फिलिस्तीन को मान्यता
फिलीस्तीन को मान्यता देने के लिए वैश्विक समर्थन गाजा में मानवीय संकट बढ़ने की वजह से मिल रहा है. हमास के नियंत्रण वाले स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी की है. पिछले 23 महीना में इजरायली हमले में 65000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए हैं. इसी के साथ संयुक्त राष्ट्र ने इस बात की चेतावनी दी है कि गाजा में भुखमरी का खतरा है और साथ ही उन्होंने इजराइल पर नरसंहार का भी आरोप लगाया है. इन सभी अंतरराष्ट्रीय आक्रोश के बढ़ने की वजह से देशों पर फिलिस्तीन को मान्यता देने का दबाव बना.
क्या मान्यता देने के लिए कोई प्रमाण पत्र जारी किया जाता है?
असल में जब एक देश दूसरे देश को मान्यता देता है तो किसी भी तरह का औपचारिक प्रमाण पत्र या फिर दस्तावेज जारी नहीं किया जाता. यह एक राजनीतिक प्रक्रिया है, ना की कोई औपचारिक प्रक्रिया. जब कोई देश अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत दूसरे को मान्यता देता है तो वह राजनयिक संबंधों को स्थापित करता है. इसी के साथ दूतावासों का आदान-प्रदान होता है. लेकिन कोई भी मान्यता प्राप्त राज्य को किसी तरह का भौतिक प्रमाण पत्र या आधिकारिक दस्तावेज नहीं दिया जाता. इसी के साथ आपको बता दें कि मान्यता आमतौर पर सार्वजनिक घोषणाओं, आधिकारिक बयानों या फिर राजनयिक नोटों के जरिए दी जाती है.
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