भारतीय नौसेना 26 अगस्त को यानी आज एक ऐतिहासिक पड़ाव छूने जा रही है. पहली बार ऐसा होगा जब दो बड़े स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस उदयगिरि और आईएएस हिमगिरी एक साथ नौसेना की बेड़े में शामिल किए जाएंगे. यह समारोह विशाखापट्टनम में होगा और इसे नौसेना के इतिहास का सुनहरा अध्याय माना जा रहा है.
कौन सा आईएनएस कहां बना
- आईएनएस उदयगिरि का निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने किया है. खास बात यह है कि यह नौसेना की वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो की 100वीं डिजाइन भी है.
- आईएनएस हिमगिरी को कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने तैयार किया है और यह इस शिपयार्ड से बनने वाला पहला P-17A युद्धपोत है.
आकार और रफ्तार
दोनों पोत लगभग 6,700 टन वजनी और 149 मीटर लंबे हैं. उनकी रफ्तार करीब 28 नॉट्स यानी लगभग 52 किलोमीटर प्रति घंटा है. दोनों में सीओडीओजी प्रपल्शन सिस्टम लगा है यानी डीजल और गैस टर्बाइन दोनों से चल सकते हैं. इनकी डिजाइन ऐसी बनाई गई है कि दुश्मन के रडार पर इनकी मौजूदगी पकड़ना मुश्किल हो जाए यानी यह स्टील्थ फ्रिगेट्स है.
हथियारों का जखीरा
दोनों पोतों पर हथियारों का ऐसा काॅबिनेशन लगाया गया है जो समुद्र में किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं.
- ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल
- बराक 18 मीडियम रेंज एयर डिफेंस मिसाइल
- 76 मिनी गन
- 30 मिमी और 12.7 मिमी क्लोज इन वेपन सिस्टम
- टॉरपीडो और एंटी सबमरीन हथियार
- उन्नत एईएसए रडार और सोनार सिस्टम शामिल हैं
कौन ज्यादा खास
तकनीक और हथियारों के लिहाज से दोनों लगभग बराबर हैं. फर्क बस उनकी पहचान में है. उदयगिरि नौसेना के डिजाइनिंग क्षमता का 100वां मील का पत्थर है. वहीं हिमगिरी कोलकाता शिपयार्ड से बनी पहली P-17A फ्रिगेट है.
आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक
दोनों जहाजों के निर्माण में 200 से ज्यादा एमएसएमईएस ने भाग लिया. इसने करीब 4,000 प्रत्यक्ष और 10,000 अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा किए. यह सिर्फ युद्धपोत नहीं बल्कि मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत का जीवंत उदाहरण है.
नतीजा-ताकतवर कौन
साफ है कि दोनों युद्धपोत ताकत और तकनीकी के मामले में एक दूसरे से कम नहीं हैं. उदयगिरि ऐतिहासिक महत्व के कारण खास है तो हिमगिरी निर्माण स्थल के लिहाज से अनोखा है. यानी असली ताकत दोनों मिलकर भारतीय नौसेना को मिल रही है और यही भारत की समुद्री सुरक्षा को और भी मजबूत बनाएगी.
ये भी पढ़ें- क्या होता है पुलिस जिला, देश के किन राज्यों में है ऐसी व्यवस्था और ये कितने अलग?