Child Marriage in India: 2024 में बाल विवाह मुक्त भारत कैंपेन शुरू किया गया था, जिसका एक बड़ा लक्ष्य था 2030 तक देश से बाल विवाह को खत्म करना. इस लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए जागरूकता अभियान, सामाजिक कार्यक्रम, सामुदायिक हस्तक्षेप और राज्य स्तरीय पहल की जा रही है. लेकिन इन सबके बावजूद भी भारत के कुछ हिस्सों में बाल विवाह अभी भी गहराई से जुड़ा हुआ है. आइए जानते हैं भारत के किन हिस्सों में बाल विवाह सबसे ज्यादा होता है और इससे कौन सा समुदाय सबसे ज्यादा प्रभावित है.

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वे राज्य जहां बाल विवाह सबसे ज्यादा आम हैं

वैसे तो राष्ट्रीय आंकड़े बाल विवाह में धीरे-धीरे कमी दिखाते हैं लेकिन इसके बावजूद भी कुछ राज्य अभी भी चिंताजनक रूप से ज्यादा संख्या की रिपोर्ट कर रहे हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 के 2019-21 के डेटा के मुताबिक प्रतिशत के मामले में पश्चिम बंगाल और बिहार लिस्ट में सबसे ऊपर हैं.

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पश्चिम बंगाल 

पश्चिम बंगाल में 20-24 साल की 40% से ज्यादा महिलाओं की शादी 18 साल की उम्र से पहले ही हो गई थी. गरीबी, संस्कृतिक प्रथा और कुछ जिलों में लड़कियों के लिए पढ़ाई के सीमित मौकों की वजह से वहां के लोगों ने यह निर्णय लिया और यही वजह है कि राज्य लगातार लिस्ट में सबसे ऊपर बना हुआ है.

बिहार 

बिहार में बाल विवाह की दर लगभग 40% है. कम उम्र में शादी की परंपरा, आर्थिक तंगी और जेंडर बेस्ड नियमों की वजह से राज्य के कई ग्रामीण हिस्सों पर बड़ा असर पड़ा है.

दूसरे हाई रिस्क वाले राज्य 

त्रिपुरा, असम, झारखंड, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना जैसे राज्यों में भी बाल विवाह की दर राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा है. पॉलिसी और कैंपेन के बावजूद भी यहां पर गहरी सामाजिक मान्यताएं और पैसों की तंगी परिवारों को बेटियों की कम उम्र में शादी करने के लिए मजबूर कर देती हैं. 

उत्तर प्रदेश 

अगर कुल संख्या की बात करें तो उत्तर प्रदेश लगभग 36 मिलियन के साथ सबसे आगे है. क्योंकि यहां की आबादी काफी ज्यादा है. तुलनात्मक रूप से कम प्रतिशत भी एक काफी बड़ी संख्या में बदल जाता है जिस वजह से यह दखल के लिए एक जरूरी फोकस एरिया बन जाता है.

कौन से समुदाय सबसे ज्यादा प्रभावित हैं 

भारत में बाल विवाह किसी खास धर्म की तुलना में आर्थिक स्थिति और क्षेत्रीय प्रथाओं से काफी ज्यादा जुड़ा हुआ है. सबसे कम इनकम वाले ग्रुप के परिवारों को सबसे ज्यादा खतरा होता है. कम उम्र में शादी एक तरह की आर्थिक राहत बन जाती है. इस तरह परिवार पर एक जिम्मेदारी कम हो जाती है.

इसी के साथ डेटा से यह पता चलता है कि दूसरे जाति ग्रुप के मुकाबले शेड्यूल कास्ट और शेड्यूल ट्राइब्स में बाल विवाह की दर काफी ज्यादा है. हालांकि हाल के सालों में जागरूकता और सरकारी स्कीम के बढ़ने की वजह से जाति का अंतर कम होने लगा है. इसी के साथ आपको बता दें कि ग्रामीण भारत में बाल विवाह काफी आम है. शिक्षा तक कम पहुंच, नौकरी के कम मौके और सांस्कृतिक परंपराएं गांवों को कम उम्र में शादी के बने रहने में मदद करती हैं.

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