प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में अब तक 50 करोड़ से अधिक लोगों ने डुबकी लगाई है. लेकिन अब सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने जब से कुंभ में बैक्टीरिया फैलने के बात कही है, उसके बाद से आम जनता इसके बारे में जानना चाहती है. आज हम आपको बैक्टीरिया के साथ ये बताएंगे कि सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड किसके अंडर में आता है.

क्या है मामला?

अब सबसे पहले ये जानते हैं कि ये मामला क्या है. बता दें कि सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड यानी सीपीसीबी ने बीते सोमवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को बताया है कि सीवेज में गंदगी मिली है. इतना ही नहीं गंदगी में फेकल कोलीफॉर्म की बैक्टीरिया का लेवल 2,500 यूनिट प्रति 100 मिली है. बता दें कि बैक्टीरिया का ये स्तर बहुत ज्यादा है. इसके अलावा भी कई जगहों पर पानी में 'फेकल कोलीफॉर्म' बैक्टीरिया मिला है. 

क्या है फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया? 

बता दें कि कोलीफॉर्म बैक्टीरिया को बहुत ही खतरनाक माना जाता है. दरअसल ये गर्म खून वाले जानवरों और मनुष्यों की आंतों में जिंदा रहते हैं. इसको लेकर जल अनुसंधान केंद्र कहता है कि फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया इंसान या पशु अपशिष्ट की गंदगी से जुड़ा होता है. कोलीफॉर्म और फेकल स्ट्रेप्टोकोकी बैक्टीरिया सीवेज प्रदूषण से जुड़ा है.

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड

अब सवाल ये है कि सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड किसके अंडर में आता है और इसका मुख्य काम क्या है. बता दें कि सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड केंद्र सरकार की एक संस्था है. इस संस्था का मुख्य काम देशभर में ये सुनिश्चित करना है कि वायु और जल प्रदूषण का स्तर ना बढ़े और जिन क्षेत्रों में प्रदूषण बढ़ रहा है, वहां पर प्रदूषण को कम करना है. आसान भाषा में आप इसको ऐसे समझ सकते हैं कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड  का काम देश में वायु और जल प्रदूषण को कम करना और नियंत्रित करना है. इसके अलावा ये संस्था समय-समय पर पर्यावरण और वन मंत्रालय को तकनीकी सहायता भी देने का काम करती है.

सीपीसीबी का मंत्रालय से कनेक्शन

बता दें कि सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड देशभर में वायु और जल प्रदूषण को कम करने के साथ इसकी रिपोर्ट सरकार को भी देती है. सरकार इस संस्थान की रिपोर्ट पर विचार विमर्श करने के बाद कई बार नए कानून भी लागू करता है, जिससे जल और वायु प्रदूषण को कम करने में मदद मिल सके.

 

 

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