देश में आखिरी बार साल 2011 में जनगणना हुई थी. इसके बाद से साल 2021 से जनगणना की तारीखें लंबित चल रही हैं. लेकिन कुछ महीने पहले ही मोदी सरकार ने जनगणना पर मुहर लगा दी है. इस दौरान कहा गया है कि मूल जनगणना में ही जातिगत जनगणना भी कराई जाएगी. पहले साल 2021 में कोरोना की वजह से इसे टाल दिया गया था, लेकिन अब फिर से जनगणना की तारीख आ गई है. चलिए जानें कि यह कब से शुरू होगी और इस दौरान किस तरह के सवाल पूछे जा सकते हैं. 

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कैसे होती है जनगणना

जनगणना के लिए सरकारी कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है. ये लोग तय क्षेत्रों में पहुंचते हैं और लोगों को घरों-घरों में जाकर विभिन्न तरह की जानकारी जुटाते हैं. सरकार इनको जनगणना के लिए खास पहचान पत्र देती है, लेकिन अगर किसी शख्स को संशय हो तो वो इनसे आधिकारिक पहचान पत्र दिखाने के लिए भी कह सकते हैं. दो हिस्सों में जनगणना की जाती है. पहली हाउसिंग और दूसरी हाउसिंग सेंसस. हाउसिंग में घर से जुड़े सवाल जैसे कि बिजली, पेयजल, शौचालय और संपत्ति से जुड़े सवाल किए जाते हैं. 

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कौन से सवाल किए जाते हैं

वहीं दूसरा फॉर्म नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर का होता है. इसमें घर के सदस्यों से जुड़े सवाल होते हैं जैसे कि लिंग, माता का नाम, जन्म तारीख, पिता का नाम, वैवाहिक स्थिति, अस्थाई पता, वर्तमान पता, परिवार के मुखिया, परिवार के मुखिया से संबंध, मौजूदा वैवाहिक स्थिति, शादी के समय उम्र, धर्म, संप्रदाय, अनुसूचित जाति या जनजाति, दिव्यांगता, मातृभाषा अन्य कौन सी भाषाओं का ज्ञान, साक्षरता की स्थिति, मौजूदा शैक्षणिक स्थिति, उच्चतम शिक्षा, बीते साल का रोजगार, आर्थिक गतिविधि की श्रेणी, रोजगार, उद्योग की प्रकृति, रोजगार और सेवाएं, श्रेणी गैर-आर्थिक गतिविधि, कैसा रोजगार चाहते हैं, काम पर जाने का माध्यम जैसे सवाल होते हैं. इस प्रक्रिया के दौरान आम तौर पर 29 सवाल किए जाते हैं. 

कब से शुरू होगी जनगणना

भारत में इस बार जनगणना का काम दो चरणों में खत्म होगा. पहली बार 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगी. इस दौरान देश के पहाड़ी इलाकों में रहने वालों की जनगणना की जाएगी. वहीं दूसरा चरण 1 मार्च 2027 से शुरू होगा. इस दौरान मैदानी इलाकों में जनगणना की जाएगी. इस बार जाति आधारित जनगणना की जाएगी. जातिगत जनगणना का सबसे बड़ा असर ओबीसी वर्ग पर देखने को मिलेगा.

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