पाकिस्तान और सऊदी अरब के हालिया रक्षा समझौते के बाद यह सवाल फिर से चर्चा में है कि क्या पाकिस्तान अपने परमाणु हथियार सऊदी को बेच सकता है. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस डील के जरिए सऊदी अरब को एक तरह का परमाणु कवच मिल सकता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय नियम, संधियां और राजनीतिक माहौल इस संभावना को बेहद जटिल और संवेदनशील बना देते हैं. चलिए इसके बारे में विस्तार से समझ लेते हैं.

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पाकिस्तान और परमाणु हथियार

पाकिस्तान दुनिया के उन देशों में शामिल है, जिसने परमाणु कार्यक्रम Non-Proliferation Treaty से बाहर रहकर विकसित किया. पाकिस्तान NPT का पक्षकार नहीं है, इसलिए उस पर NPT के सीधे कानूनी दायित्व लागू नहीं होते. लेकिन अंतरराष्ट्रीय हथियार निर्यात नियंत्रण और सुरक्षा नियम किसी भी तरह के हथियार ट्रांसफर की सख्त निगरानी करते हैं.

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सऊदी अरब की क्या है स्थिति

सऊदी अरब NPT का सदस्य है और इस संधि के तहत उसे परमाणु हथियार रखने या प्राप्त करने की अनुमति नहीं है. NPT के अनुच्छेद-II में साफ लिखा है कि गैर-परमाणु हथियार राज्य किसी भी तरह से परमाणु हथियार या अन्य परमाणु विस्फोटक उपकरण प्राप्त नहीं कर सकते हैं. अगर सऊदी अरब पाकिस्तान से सीधे परमाणु हथियार लेता है, तो यह NPT का उल्लंघन कहलाएगा.

क्या परमाणु हथियारों का ट्रांसफर संभव है?

अभी तक इतिहास में किसी भी देश ने खुले तौर पर दूसरे देश को अपने परमाणु हथियार बेचे नहीं हैं. हां, NATO देशों में अमेरिकी हथियार यूरोप में तैनात हैं, लेकिन उनका नियंत्रण अमेरिका के हाथ में ही रहता है. पाकिस्तान अगर सऊदी को परमाणु हथियार सौंपता है, तो यह न सिर्फ अनोखी बात होगा बल्कि वैश्विक प्रतिक्रिया को भी बढ़ावा मिलेगा.

न्यूक्लियर अम्ब्रेला क्या है?

रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तान और सऊदी की डील को ज्यादा सही ढंग से न्यूक्लियर अम्ब्रेला यानी परमाणु कवच के रूप में समझा जाना चाहिए. इसका मतलब है कि पाकिस्तान किसी भी हमले की स्थिति में सऊदी की सुरक्षा सुनिश्चित करने का राजनीतिक-रणनीतिक आश्वासन दे सकता है, लेकिन इसका अर्थ हथियारों का सीधा हस्तांतरण नहीं होता है. लेकिन अगर किसी तरह का हथियार ट्रांसफर होता है तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी विरोध तय है.

अमेरिका, यूरोप और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन इसे मध्य पूर्व में अस्थिरता बढ़ाने वाला कदम मानेंगे. ऐसी परिस्थिति में आर्थिक प्रतिबंध, कूटनीतिक दबाव और सुरक्षा नीतियों के जरिए दोनों देशों पर कार्रवाई संभव है.

राजनीतिक बयानबाजी

कानूनी और व्यावहारिक दोनों ही स्तर पर पाकिस्तान का सऊदी को परमाणु हथियार बेचना लगभग असंभव है. हां राजनीतिक बयानबाजी और रक्षा साझेदारी के नाम पर न्यूक्लियर कवच की बात जरूर हो सकती है.

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