Can Bangladesh Join Pakistan: बांग्लादेश में पिछले साल हुए नाटकीय घटनाक्रम के बाद वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पीएम का पद छोड़ दिया और वो वहां से भाग गई थीं. इसके बाद बांग्लादेश को लेकर कई हैरान कर देने वाली घटनाएं सामने आई हैं. इसमें एक समय में दुश्मन रहे पाकिस्तान के साथ बांग्लादेश की नजदीकी भी सामने आ रही है. भले ही दोनों देशों के संबंध तनावपूर्णं रहे हों, लेकिन पिछले महीने दोनों देशों ने पहली बार सीधे व्यारा शुरू किया, जिसके तहत बांग्लादेश ने पाकिस्तान से 50,000 टन चावल आयात किया है. इसके अलावा दोनों देशों के बीच सैन्य संपर्क और सीधी उड़ाने भी शुरू हो गई हैं. दोनों देशों के बीच वीजा की प्रक्रिया को फिर से सरल बनाया जा रहा है. इसके अलावा सुरक्षा में सहयोग को लेकर भी खबरें मिल रही हैं.
पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच नरमी भारत के लिए चिंता
एक वक्त पर 1971 में वो बांग्लादेश ही था जो पाकिस्तान से अलग होने के लिए युद्ध कर रहा था. नौ महीने तक चले इस युद्ध में भारत ने बांग्लादेश का साथ दिया था. ऐसे में बांग्लादेश का फिर से पाकिस्तान के साथ नजदीकी बढ़ाना उसके लिए कितना सही है ये तो वो ही जाने. लेकिन शेख हसीना जब तक बांग्लादेश की पीएम रहीं तब तक उन्होंने भारत का पूरा साथ दिया. लेकिन पिछले साल बड़े पैमाने पर विरोध के बाद जब वो बांग्लादेश छोड़कर भाग गईं तो पाकिस्तान और बांग्लादेश के संबंधों में नरमी आने लगी. ये भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि भारत और बांग्लादेश की सरहद पार करना कोई मुश्किल काम नहीं है.
बांग्लादेश के लिए क्या बोला जैन हामिद
वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान में लाल टोपी के नाम से कुख्यात जैन हामिद ने बांग्लादेश को ऑफर देते हुए कहा है कि बांग्लादेश को 1971 की तरह पाकिस्तान का हिस्सा बन जाना चाहिए. उसने कहा कि पाकिस्तान से बांग्लादेश को अलग करने का फैसला उनकी पुरानी पीढ़ियों ने किया था. अगर बांग्लादेश फिर से पाकिस्तान का हिस्सा बनने को तैयार है तो हम उनको गले लगाने के लिए आज भी तैयार है. जैन हामिद का ये बयान तब आया है, जब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मोहम्मद यूनुस ने पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच नरमी बढ़ा दी है.
कोई देश किसी दूसरे देश में कैसे हो सकता है शामिल
ऐसे में क्या सच में बांग्लादेश के पाकिस्तान में शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है. अगर कोई देश किसी दूसरे देश को अपने में मिलाना चाहे तो क्या वो ऐसा कर सकता है और इसके क्या नियम हैं. लेकिन किसी देश को दूसरे देश में शामिल करने के लिए कोई सीधा, कानूनी तौर पर बाध्यकारी प्रक्रिया नहीं है. हालांकि आमतौर पर यह एक जटिल प्रक्रिया होती है, जिसमें कई चरण शामिल होते हैं, जैसे कि बातचीत, जनमत संग्रह और कानूनी समझौते. शामिल होने की इच्छा रखने वाले देश को उस देश से बातचीत और समझौते करने होते हैं, जिसमें कई शर्तें भी शामिल होती हैं.
इसके अलावा जनमत संग्रह के आधार पर यह तय किया जाता है कि आखिर कितने लोग दूसरे देश में वियल के लिए राजी हैं. शामिल होने के बाद नए क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त होनी जरूरी है, जो कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के माध्यम से की जा सकती है.