Bihar Election: बिहार में सबसे पहले किस बाहुबली ने लड़ा था चुनाव, जानें कैसे रहे थे नतीजे?
Bihar Election: बिहार की राजनीति में बाहुबली नेताओं की शुरुआत किससे हुई, और कैसे उन्होंने अपनी ताकत और जातीय समीकरण के दम पर विधानसभा में जगह बनाई. आइए इस बारे में समझते हैं.

Bihar Election: बिहार की राजनीति हमेशा से ही अपने रंगीन और डरावने इतिहास के लिए जानी जाती रही है. अपराध और राजनीतिक दबदबे का मेल यहां के कुछ नेताओं की पहचान रहा है. ऐसे नेताओं को आम बोलचाल में बाहुबली विधायक कहा जाता है. लेकिन सवाल उठता है कि बिहार में सबसे पहले किस बाहुबली ने चुनाव लड़ा और इसके नतीजे क्या रहे थे. आइए बताते हैं कि वह विधायक कौन था.
कौन था पहला बाहुबली विधायक?
वैसे तो इसके जवाब में मतभेद हो सकता है, क्योंकि बाहुबली विधायक को लेकर न तो कोई तय अवधारणा है और न ही इसका इतिहास है. लेकिन कहा जाता है कि बिहार में सबसे पहले वीर बहादुर सिंह ऐसे बाहुबली थे जो 1980 में जगदीशपुर विधानसभा सीट से विधायक बने थे. वीर बहादुर सिंह का जन्म बक्सर जिले के बगेन गांव में एक बड़े जोतदार परिवार में हुआ था. उनके पिता की हत्या नक्सलियों ने कर दी थी, जिससे वीर बहादुर सिंह ने भी हथियार उठाए. शुरू में उनका मकसद नक्सलियों से लड़ना था, लेकिन जल्दी ही वे अपने क्षेत्र में एक दबंग और जातीय नेता के रूप में उभरने लगे. राजपूत समुदाय ने उन्हें अपने नायक के रूप में मान्यता दी और उनका रसूख दिन-ब-दिन बढ़ता गया.
पहली बार कब लड़ा था?
1977 में जब पहला विधानसभा चुनाव हुआ, तो वीर बहादुर सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जगदीशपुर से चुनाव लड़ा. उन्होंने अपने बाहुबल और क्षेत्रीय प्रभाव का इस्तेमाल किया, लेकिन इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. करीब 4 हजार वोटों से उनकी हार ने उन्हें हतोत्साहित नहीं किया, बल्कि भविष्य के लिए योजना बनाने का अवसर दिया.
किसको हराकर दर्ज कराई जीत?
1980 में हुए मध्यावधि चुनाव में वीर बहादुर सिंह ने अपनी रणनीति में बदलाव किया. उन्होंने न केवल अपने बाहुबल का इस्तेमाल किया, बल्कि क्षेत्र के जातीय समीकरण का भी ध्यान रखा. इस सीट पर यादव और कोइरी समुदाय की संख्या लगभग बराबर थी, और अक्सर जीत उनके झुकाव के आधार पर तय होती थी. वीर बहादुर सिंह ने कोइरी बहुल इलाकों में जाकर समर्थन जुटाया और इस जातीय समर्थन के साथ बाहुबल ने उन्हें जीत दिलाई. उन्हें कुल 19,796 वोट मिले और करीब 4 हजार वोटों से जनता पार्टी के हरि नारायण सिंह को हराया.
वीर बहादुर सिंह ने रखी बाहुबली नेताओं की नींव
उनकी जीत ने बिहार में एक नया दौर शुरू किया. भोजपुर जिले और आसपास के क्षेत्रों में कई दबंग नेताओं ने भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा जगाई. इनमें से गुप्तेश्वर सिंह जैसे नेताओं ने भी चुनाव में कदम रखा, हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली. वीर बहादुर सिंह की राह ने यह साबित कर दिया कि बाहुबली और जातीय समीकरण का मेल राजनीति में बड़ा असर डाल सकता है. लेकिन इस ताकत की कीमत भी चुकानी पड़ी. वीर बहादुर सिंह 1987 में नृशंस हत्या के शिकार हो गए. उनके राजनीतिक जीवन ने बिहार में बाहुबली नेताओं के उदय की नींव रखी और आने वाले वर्षों में कई दबंग नेताओं को विधानसभा और लोकसभा तक पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त किया.
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Source: IOCL






















