Bihar Election 2025 Phases 1: 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण आज शुरू हो चुका है. आज बिहार में 18 जिलों की 121 सीटों पर मतदान हो रहा है. इस बीच आरजेडी प्रवक्ता और लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने पटना की एक वीडियो साझा की है. ऐसा आरोप लगाया जा रहा है कि राजद समर्थकों को वोटिंग करने से रोकने की कोशिश की गई है. इसी बीच आइए जानते हैं कि अगर कोई वोट डालने से रोके तो उसे क्या सजा मिल सकती है.

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वोट देने से रोकना एक अपराध 

मतदान एक संवैधानिक अधिकार है. इसी के साथ कोई भी नागरिक के इस अधिकार का इस्तेमाल करने की क्षमता में हस्तक्षेप नहीं कर सकता. चाहे फिर हस्तक्षेप शारीरिक हो, मौखिक हो या फिर किसी भी तरीके से हो, यह चुनावी भ्रष्टाचार के अंदर आता है. भारतीय कानून इसे एक आपराधिक कृत्य मानता है क्योंकि यह लोकतंत्र की अखंडता को कमजोर करता है.

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जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 

भारत में चुनावों को नियंत्रित करने के लिए एक बड़ा कानून बनाया गया है. इसका नाम है जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951. यह अधिनियम चुनाव संचालन के तरीके को तय करता है और चुनावी अपराधों को साफ तौर से परिभाषित करता है. इसमें रिश्वतखोरी, धमकी और किसी को मतदान करने से रोकना शामिल है. मतदाता की स्वतंत्रता में बाधा डालने वाला कोई भी काम भ्रष्ट आचरण माना जाता है और इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है.

भारतीय न्याय संहिता क्या कहती है 

किसी मतदाता को रोकने का अपराध भारतीय न्याय संहिता की धारा 174 के अंतर्गत आता है. यह धारा चुनावों के दौरान अनुचित प्रभाव से संबंधित है. अगर किसी भी तरह से वोटर के मताधिकार में हेर फेर करने का कोई भी प्रयास किया जाता है तो 1 साल तक की कारावास, जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है.

इसके अलावा भारतीय न्याय संहिता की धारा 171 सी खास तौर से अनुचित प्रभाव से संबंधित है. यानी कि किसी भी व्यक्ति को मतदान करने से रोकना, उसे किसी खास उम्मीदवार को वोट देने के लिए मजबूर करना या फिर उसे चुनावी प्रक्रिया में पूरी तरह से भाग लेने से रोकने के लिए बल, धमकी या दबाव का इस्तेमाल करना कानूनन जुर्म है. इसके लिए 1 साल तक की कैद, आर्थिक  जुर्माना या फिर दोनों सजा दी जा सकती हैं. यह कानून राजनीतिक कार्यकर्ता, स्थानीय नेता, समूह या व्यक्ति और यहां तक कि वह निजी व्यक्ति भी जो अपनी मर्जी से कम कर रहे हों सब पर लागू होता है. अगर इस तरह के काम संगठित धमकी का हिस्सा हैं या फिर इनमें हिंसा शामिल है तो कानूनी परिणाम और भी ज्यादा गंभीर हो सकते हैं.

क्यों है ये कानून जरूरी 

लोकतंत्र का मूल्य उसके मतदाताओं की स्वतंत्रता में ही है. जब भी कोई मतदान रोकने का प्रयास किया जाता है तो इससे सिर्फ एक व्यक्ति ही निशाना नहीं बन रहा, बल्कि पूरी लोकतंत्र प्रक्रिया पर हमला होता है. ऐसे में इस तरह के कानून यह सुनिश्चित करते हैं कि चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और सुरक्षित रूप से पूरा हो. साथ ही कोई भी समूह दूसरों को चुप करा कर सत्ता हासिल ना कर सके.

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