Bihar Assembly Elections: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं. पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होना है और यह मतदान 121 सीटों पर किया जाएगा. इसी के साथ उम्मीदवारों के पास 17 अक्टूबर तक नामांकन दाखिल करने का समय होगा. साथ ही 18 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी. जो लोग अपना नामांकन वापस लेना चाहते हैं उन्हें 20 अक्टूबर तक ऐसा करना होगा.  जैसे-जैसे राज्य में चुनावी सरगर्मी बढ़ रही है शासन, विकास और वित्त पर चर्चाएं होनी शुरू हो गई है. इसी बीच आज हम जानेंगे कि बिहार का सरकारी कर्ज कितना है और हर निवासी पर वास्तव में कितना कर्ज है.

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बिहार का सरकारी कर्ज और प्रति व्यक्ति बोझ

बिहार सरकार का कुल कर्ज 3.02 लाख करोड़ रुपए पार कर गया है. यह इस साल पेश किए गए 3.16 लाख करोड़ रुपए के बजट से भी ज्यादा है. केंद्रीय वित्त मंत्रालय के मुताबिक मार्च 2024 में बिहार का ऋण लगभग 3.19 लाख करोड़ रुपए था. वहीं अगर बिहार जाति जनगणना 2023 की बात करें तो इसके मुताबिक राज्य की कुल जनसंख्या लगभग 13 करोड़ है. इस हिसाब से प्रति व्यक्ति ऋण 24000 से ज्यादा है. ध्यान देने वाली बात यह है कि यह जाति जनगणना 2023 के आंकड़े हैं. यानी इस साल यह कर्ज और भी ज्यादा हो सकता है. वहीं इसी बीच सरकार ने पांच प्रमुख चुनावी योजनाओं की घोषणा की है जिसे राज्य के वित्तीय दायित्व में सालाना 10000 करोड़ रुपए का इजाफा होने का अनुमान है.

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विकास और बुनियादी ढांचे पर खर्च 

हालांकि इन सभी पैसों का इस्तेमाल बुनियादी ढांचे और लोक कल्याणकारी परियोजनाओं पर किया गया है. इसरो के हरिया आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले एक दशक में रात्रि प्रकाश के वृद्धि सैटेलाइट ऑब्जरवेशन के जरिए से विकास का एक पैमाना देशभर में 47% बढ़ी है. अकेले बिहार में यह वृद्धि उल्लेखनीय रूप से 400% तक रही है. इसका मतलब यह है कि बुनियादी ढांचे, बिजली और शहरी विकास में सरकारी निवेश किया गया है. यह आंकड़े बताते हैं कि बढ़ते कर्ज के बावजूद भी सरकार ने विकासात्मक पहलों में इन्वेस्ट करने की कोशिश की है. 

कैसे हो सकता है कर्ज कम 

बढ़ते कर्ज से छुटकारा पाने के लिए बिहार को अपने राज्य के राजस्व संग्रह को काफी सावधानी से बढ़ाने की जरूरत है. आय के जरिए जैसे होल्डिंग टैक्स, स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण को एकल खिड़की प्रणाली के जरिए से सुगम बनाया जा सकता है. इतना ही नहीं बल्कि निजी क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करने से अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न हो सकता है.

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