बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की खबरें लगातार सुर्खियों में हैं. हाल ही में एग्जिट पोल के नतीजे सामने आए हैं और इसके अनुसार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार बनती दिख रही है. यहां पहले चरण में 6 नवंबर को मतदान हुआ था, जिसमें 65.06 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई. वहीं, दूसरे चरण में 68.76 प्रतिशत मतदान हुआ. पूरे चुनाव में कुल 66.91 प्रतिशत मतदान हुआ, जो बिहार में अब तक की सबसे ज्यादा वोटिंग है. ऐसे में अब सबकी नजरें काउंटिंग पर है. हर कोई काउंटिंग और काउंटिंग सेंटर को लेकर चर्चा कर रहा है. इसके साथ ही कई तरह के सवाल भी सामने आ रहे हैं. चलिए जानते हैं कि काउंटिंग सेंटर में गलती से भी क्या चीजें नहीं ले जा सकते हैं और कब तुरंत पुलिस पकड़ लेती है?
काउंटिंग सेंटर में गलती से भी नहीं ले जा सकते ये चीजें
काउंटिंग सेंटर में कुछ चीजें बिल्कुल भी नहीं लाई जा सकती है. इसमें मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, हथियार या कोई भी संदिग्ध सामान शामिल है. अगर कोई व्यक्ति ऐसा करने की कोशिश करता है, तो पुलिस तुरंत उसे पकड़ लेती है. इस नियम का पालन बेहद सख्ती से किया जाता है ताकि मतगणना पूरी तरह निष्पक्ष और सुरक्षित हो. मतगणना के दौरान किसी प्रकार की गड़बड़ी रोकने के लिए कई नियम बनाए गए हैं. जैसे हर एजेंट को पहचानने के लिए विशेष बैज दिए जाते हैं. हॉल में आने के बाद एजेंट को बाहर जाने की अनुमति नहीं होती है. किसी भी व्यक्ति को रिटर्निंग अधिकारी की अनुमति के बिना हॉल में प्रवेश नहीं मिलता है. हॉल के आसपास पानी, खाने और टॉयलेट की व्यवस्था होती है.
मतगणना का प्रोटोकॉल
मतगणना पूरी तरह सुरक्षित और गोपनीय तरीके से होती है. रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट-1951 के सेक्शन 128 और 129 के अनुसार, मतगणना से जुड़ी जानकारी गुप्त रखी जाती है.मतगणना शुरू होने से पहले अधिकारियों को हॉल और टेबल नंबर रैंडम तरीके से दिए जाते हैं. हर हॉल में अधिकतम 14 टेबल होती हैं और एक टेबल रिटर्निंग ऑफिसर के लिए होती है. विशेष परिस्थितियों में यह संख्या बढ़ाई जा सकती है.हर उम्मीदवार के एजेंटों की संख्या हॉल में 15 से ज्यादा नहीं हो सकती है.
मतगणना में गड़बड़ी करने पर सजा
मतगणना केंद्र पर गड़बड़ी करने वाले कर्मचारी या नागरिक दोनों के लिए सजा का प्रावधान है. रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट-1951 के सेक्शन 136 के अनुसार दोषी को 6 महीने से 2 साल तक जेल या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. अगर किसी वोटिंग मशीन में छेड़छाड़ की शिकायत आती है, तो रिटर्निंग ऑफिसर तुरंत इसकी जांच करता है. अगर छेड़छाड़ साबित होती है, तो उस मशीन की गिनती नहीं की जाती और इसकी जानकारी राज्य और केंद्र के चुनाव आयोग को दी जाती है.
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