बिहार में 243 विधनसभा सीटों के लिए अक्टूबर या नवंबर में चुनाव हो सकते हैं. लेकिन इसके पहले राज्य में चुनाव आयोग के द्वारा वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण SIR को लेकर जमकर सियासी हंगामा मचा हुआ है. विपक्ष का कहना है कि हमारे वोटर काटने के लिए यह भाजपा का खेल है, वहीं भाजपा कह रही है कि यह एक समान्य प्रक्रिया है. वहीं इसको लेकर चुनाव आयोग का कहना है कि SIR मतदाता सूची शुद्धिकरण प्रक्रिया है, क्योंकि राज्य में 2003 के बाद से वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण नहीं हुआ है. 

वहीं बीते दिन बिहार को लेकर खबर है कि वहां सभी मतदान केंद्रों पर 1200 से कम मतदाता है. पोलिंग बूथ पर लंबी लाइनों को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है. चलिए जानें कि एक बूथ में कितने वोटर्स होते हैं और इसको लेकर चुनाव आयोग का क्या नियम है. 

बिहार में एक बूथ पर कितने वोटर्स

बिहार वोटर लिस्ट पुनरीक्षण के 24 जून के आदेश के अनुसार हर मतदान केंद्र पर 1500 मतदाताओं की पहले की अधिकतम सीमा को घटाकर अब प्रति मतदान केंद्रों पर 1200 मतदाता कर दिए गए हैं. वोटर बूथ पर मतदाताओं की बात करें तो वोट कलेक्शन के लिए पोलिंग बूथ बनाए जाते हैं, जहां पर मतदाता अपने पसंदीदा कैंडिडेट को वोट देते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर पोलिंग बूथ के लिए कितने वोटर्स का होना जरूरी होता है, जिनके लिए चुनाव आयोग पोलिंग बूथ बना देता है. 

क्या कहता है नियम

चुनाव आयोग का कहना है कि आने वाले चुनाव में वोटर्स को किसी तरह की कोई दिक्कत न हो इस बात का ध्यान रखा जाएगा. चुनाव में मतदाताओं को कई सहूलियतें मिलेंगी. वोटिंग प्रक्रिया में किसी तरह की कोई परेशानी न हो इस बात का ध्यान रखा जाएगा. चुनावी प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए और आवश्यक सुविधाओं को मजबूत करने के लिए चुनाव आयोग ने जरूरी कदम उठाया है. इसमें मतदान केंद्र पर अधिकतम मतदाताओं की संख्या 1500 से कम करके 1200 कर दी गई है. इसके अलावा यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि मतदान के लिए दो किमी से ज्यादा की दूरी न तय की जाए. 

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