Babri Masjid Demolition Anniversary: आज से ठीक 33 साल पहले 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों ने बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था. जिस तरफ भव्य राम मंदिर अब बनकर तैयार हो गया है वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई जमीन पर मस्जिद का निर्माण अभी शुरू होना बाकी है. इसी बीच आइए जानते हैं कि अयोध्या के राम मंदिर से कितनी दूर है वह जगह जहां पर मस्जिद के लिए जमीन दी गई थी.
नहीं हुआ मस्जिद का काम शुरू
25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर स्थल पर झंडा फहराया. इसी बीच मस्जिद प्रोजेक्ट जिसे 2019 के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत मंदिर के बराबर बनाया जाना था अभी भी कागजों पर ही है. जमीन लगभग 4 साल पहले अलॉट कर दी गई थी लेकिन इसके बावजूद भी अभी तक कोई भी कंस्ट्रक्शन शुरू नहीं हुआ.
सुप्रीम कोर्ट का 2019 का फैसला और अलॉट की गई जगह
अयोध्या विवाद पर अपने ऐतिहासिक 2019 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने पूरी विवादित जगह राम लल्ला विराजमान को सौंप दी थी. इसी के साथ यह निर्देश दिया गया था कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अयोध्या में कहीं और मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन दी जाए. इस निर्देश पर कार्रवाई करते हुए सरकार ने सोहावल तहसील में बसें धन्नीपुर गांव में 5 एकड़ का प्लॉट अलॉट किया. आपको बता दें कि यह अयोध्या से लगभग 20 से 25 किलोमीटर दूर है.
दशकों पुराने कानूनी और धार्मिक दावों से जुड़ा विवाद
अयोध्या विवाद कई दशकों को पुराना है. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सबसे पहले 18 दिसंबर 1961 को कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उनका दावा था कि बाबरी मस्जिद में 1949 तक नमाज होती रही थी. उनके दावे के मुताबिक 22-23 दिसंबर 1949 की रात को मस्जिद के अंदर भगवान राम की मूर्ति रखी गई जिसके बाद सरकार ने उस जगह को बंद कर दिया. हिंदू पक्ष का तर्क था कि बाबरी ढांचा भगवान राम के जन्म स्थान पर बना था और इसे पहले से मौजूद एक मंदिर को तोड़कर बनाया गया था. इस लंबे और जटिल विवाद ने जबरदस्त कानूनी लड़ाइयां, राजनीति और बार-बार सांप्रदायिक तनाव देखे.
सालों बाद 30 दिसंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाया जिसमें विवादित 2.77 एकड़ जमीन को तीन हिस्सों में बांट दिया गया. इसमें से एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को और बाकी दो हिंदू दावेदारों को मिले. हालांकि इस फैसले से कोई भी पक्ष संतुष्ट नहीं हुआ, जिस वजह से सुप्रीम कोर्ट में एक नई अपील दर्ज की गई. इसके बाद 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने पूरी जमीन हिंदू पक्ष को दे दी और मस्जिद के लिए दूसरी जगह जमीन देने के आदेश दिए.
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