Azam Khan Bail: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान करीब 23 महीने जेल में रहने के बाद आज सीतापुर जेल से रिहा हो रहे हैं. जेल प्रशासन ने आजम खान की रिहाई को लेकर तैयारियां कर ली हैं. खबरों की मानें तो आजम खान सीतापुर जेल से निकलकर सीधे रामपुर के लिए रवाना होंगे. लेकिन क्या आपको पता है कि कोई भी कैदी जब जेल से रिहा होता है तो जेल प्रशासन उससे आखिर कौन सा बॉन्ड भरवाता है. चलिए समझते हैं.
क्या हैं कैदी की रिहाई से जुड़े नियम
कैदी की रिहाई से जुड़े नियम और प्रक्रियाएं काफी व्यवस्थित तरीके से तय की गई हैं, ताकि समाज और जेल दोनों स्तरों पर संतुलन बना रहे. किसी भी कैदी की रिहाई अचानक नहीं होती, बल्कि इसके लिए कई चरणों से गुजरना पड़ता है. सबसे पहले रिहाई से पहले कैदी को जरूरी कागजात पूरे करने होते हैं. इसमें बांड भरना शामिल है, जो इस बात की गारंटी होता है कि कैदी रिहाई की शर्तों का पालन करेगा. इसके साथ ही उसे एक दस्तावेज पर साइन करने पड़ते हैं, जिसमें जेल प्रशासन द्वारा तय किए गए सभी नियम और शर्तें दर्ज होती हैं.
कौन से कागज तैयार किए जाते हैं?
जेल में कैदी की व्यक्तिगत फाइल या डोजियर तैयार किया जाता है, जिसमें उसके अपराधों का विवरण, जेल में रहते हुए किए गए कार्य और व्यवहार, साथ ही रिहाई के बाद की उसकी योजनाएं दर्ज होती हैं. इस प्रक्रिया में कैदी को भी मौका दिया जाता है कि वह अपनी ओर से लिखित में अपनी बातें, चिंताएं या भविष्य की योजनाएं दर्ज कर सके. यह फाइल आगे की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाती है.
रिहाई प्रमाण पत्र
रिहाई के समय कैदी को कुछ जरूरी दस्तावेज दिए जाते हैं. इनमें एक पहचान पत्र शामिल होता है, जिससे वह समाज में अपनी पहचान साबित कर सके. इसके अलावा रिहाई प्रमाण पत्र सौंपा जाता है, जो इस बात का आधिकारिक प्रमाण होता है कि वह रिहाई, पैरोल या फर्लो पर जेल से बाहर आया है. ये दस्तावेज न केवल उसकी पहचान को मान्यता देते हैं, बल्कि भविष्य में किसी भी प्रशासनिक आवश्यकता के लिए उपयोगी साबित होते हैं.
रिहाई के बाद भी होता है मूल्यांकन
इसके साथ ही, रिहाई से पहले पैरोल बोर्ड द्वारा कैदी का मूल्यांकन किया जाता है. इस दौरान तीन सदस्यीय बोर्ड इस बात की समीक्षा करता है कि कैदी के फिर से अपराध करने की कितनी संभावना है और उसकी रिहाई समाज के लिए किसी तरह का खतरा तो नहीं बनेगी. यह आकलन सार्वजनिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया जाता है. जेल से बाहर आने के बाद भी प्रक्रिया खत्म नहीं होती है. कैदी की निगरानी एक अपराधी प्रबंधक द्वारा की जाती है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि कैदी रिहाई के बाद किसी अनुशासनहीन गतिविधि में शामिल न हो और समाज में सामान्य जीवन जी सके.
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