Ram Mandir Dhwajarohan: वह बहुप्रतीक्षित पल आखिर अयोध्या में उतर आया है, जब राम मंदिर के शिखर पर धर्मध्वज आरोहित होने जा रहा है. भव्य मंदिर का निर्माण अब पूरी तरह पूर्ण हो चुका है और आज इसके शीर्ष पर केसरिया आभा से दमकता पावन ध्वज फहराया जाएगा. राम मंदिर पर यह धर्मध्वज न सिर्फ आस्था का प्रतीक है, बल्कि उस गौरव और समृद्ध परंपरा का संकेत भी है जिसे अयोध्या सदियों से समेटे हुए है. आइए जानें कि राम मंदिर का असली मालिक कौन है और यहां आने वाला सारा पैसा किसके पास जाता है.

Continues below advertisement

कौन है राम मंदिर का मालिक

अयोध्या का राम मंदिर सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं के विश्वास और दान का सबसे बड़ा तीर्थस्थान बन चुका है, लेकिन इस विशाल मंदिर का कानूनी मालिक कौन है, इसकी देखरेख कौन करता है और यहां आने वाले अरबों रुपये आखिर किसके पास जाते हैं, इन सवालों पर लोगों की दिलचस्पी लगातार बनी रहती है.

Continues below advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में राम मंदिर की विवादित भूमि का असली कानूनी मालिक रामलला विराजमान को माना है, यानी भगवान राम के बाल स्वरूप को. यह फैसला अदालत ने विस्तृत सुनवाई के बाद दिया, जिसमें माना गया कि सदियों से यह भूमि रामलला की विरासत का हिस्सा है. हालांकि कानूनी मालिक रामलला हैं, लेकिन मंदिर की देखरेख और निर्माण का पूरा जिम्मा भारत सरकार द्वारा फरवरी 2020 में बनाए गए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के हाथों में है. यही ट्रस्ट मंदिर के प्रबंधन से लेकर दान राशि के संचालन तक हर काम देखता है.

किसके पास जाता है सारा पैसा

राम मंदिर में आने वाला हर छोटा-बड़ा दान सीधे इसी ट्रस्ट के बैंक खातों में जमा होता है. दान देने वालों में आम भक्तों से लेकर बड़ी कंपनियां तक शामिल हैं. कोई सीधे नकद दान देता है, तो कोई सोना-चांदी जैसी बहुमूल्य वस्तुएं अर्पित करता है. इन दानों का हिसाब बेहद पारदर्शी तरीके से दर्ज किया जाता है. मंदिर परिसर में कई दान काउंटर बनाए गए हैं जहां से रसीदें जारी होती हैं. दान पात्रों से राशि निकालने की प्रक्रिया स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों और ट्रस्ट के सदस्यों की संयुक्त निगरानी में होती है.

दान के हर पैसे का हिसाब

मार्च 2023 तक, ट्रस्ट के विभिन्न बैंक खातों में लगभग 3,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि जमा थी. इसमें से 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा मंदिर निर्माण पर खर्च किए जा चुके हैं. बाकी रकम मंदिर के रखरखाव, सुरक्षा व्यवस्थाओं, भविष्य के विस्तार और धार्मिक गतिविधियों पर उपयोग की जा रही है. ट्रस्ट की तरफ से लगातार बताया गया है कि दान के हर रुपये का सही उपयोग सुनिश्चित किया जाता है और सभी लेनदेन रिकॉर्ड में दर्ज होते हैं. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि कानूनी रूप से मंदिर रामलला का है, लेकिन इसकी देखरेख, विकास और आर्थिक प्रबंधन पूरी तरह श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के हाथों में है.

यह भी पढ़ें: Ram mandir Flag Hoisting: इस लकड़ी से बने हैं राम मंदिर के दरवाजे, जानें आज इसकी कीमत कितनी?