Avalanche Rescue Mission: उत्तर भारत में इन दिनों मौसम काफी खतरनाक हो चुका है. काफी बर्फबारी भी हो रही है. जिस वजह से उत्तराखंड के चमोली में हिमस्खलन यानी एवलांच की घटना सामने आई है. शुक्रवार यानी 28 फरवरी को चमोली जिले के बदरीनाथ के माणा गांव में हिमस्खलन की वजह से 55 मजदूर बर्फ के अंदर दब गए. जिसमें से फिलहाल 33 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है.
बाकियों का रेस्क्यू ऑपरेशन किया जा रहा है. भारी बर्फबारी के चलते रेस्क्यू ऑपरेशन में काफी मुश्किल भी आ रही है. भारतीय सैना के जवानों द्वारा हिमस्खलन में फंसे मजदूरों की रेस्क्यू का अभियान चलाया जा रहा है. चलिए आपको बताते हैं हिमस्खलन जैसी स्थिति में बर्फ में दबे होने का किस तरह किया जाता है पता. कैसे किया जाता है ऐसे में रेस्क्यू ऑपरेशन.
इस तरह लगाते है बर्फ के अंदर दबे होने का पता?
जब किसी एवलांच में कोई फंस जाता है. तो उसे पता लगाने के लिए रेस्क्यू टीम तैयार की जाती है. जो इस तरह के अभियानों को अंजाम देने के लिए खासतौर पर प्रशिक्षित होती है. इस टीम के पास एक खास डिवाइस भी होता है. जो रेडियो फ्रीक्वेंसी डिवाइस होता है. इसे एवालेन्च ट्रांससीवर कहा जाता है. इसे पर्वतारोही भी अपने साथ रखते हैं. ये सिग्नल देने के लिए होता है. जब कोई व्यक्ति या बहुत सारे व्यक्ति बर्फ में दब जाते हैं. तो रेस्क्यू टीम इसी एवालेन्च ट्रांससीवर से सिग्नल ढूंढ कर उनकी लोकेशन का पता लगती है.
एवालेन्च रेस्क्यू डॉग्स करते हैं मदद
बर्फ के नीचे दब जाने के बाद ढूंढने में सिर्फ एवालेन्च ट्रांससीवर ही नहीं बल्कि और भी चीजों का सहारा लिया जाता है. रेस्क्यू टीम के पास एवालेन्च रेस्क्यू डॉग्स होते हैं. जो इंसानों की गंध सूंघकर बर्फ के नीचे दबे होने का पता लगाते हैं. इन डॉग्स की स्पेशलिटी होती है कि बर्फ की कई फीट गहराई में भी इंसानों के होने का पता लगा सकते हैं.
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रिफ्लेक्टर टेक्नोलॉजी का होता है इस्तेमाल
यह तकनीक कुछ-कुछ एवालेन्च ट्रांससीवर की तरह की होती है. लेकिन यह एक रडार तकनीक होती है. इसमें एक स्पेशल टाइप का रिफ्लेक्टर लगा होता है. जो लोगों के कपड़ों में या उनके पहने गए और उपकरणों में लगा होता है. इसका इस्तेमाल करके भी बर्फ में दबे होने का पता लगाया जा सकता है. इसके अलावा प्रोब पोल का भी इस्तेमाल किया जाता है. यह लंबे, पतले और मजबूत पोल होते हैं. इससे यह पता करते हैं. कोई नीचे तो नहीं फंसा.
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ऐसे करते हैं रेस्क्यू
जब यह पता लग जाए कोई बर्फ के नीचे कहां फंसा है. तो फिर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हो जाता है. लोकेशन मिलने के बाद रेस्क्यू टीम की ओर से खुदाई शुरू हो जाती है. अगर मामला ज्यादा गंभीर है तो फिर बर्फ जल्दी हटाने के लिए और लोगों को वहां से निकालने के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जाता है. अगर कोई ज्यादा गहराई में दबा गया है. तो उसके पास ऑक्सीजन पहुंचाने का काम पहले किया जाता है. इसके बाद जब व्यक्ति को निकाला जाता है तो उसे मेडिकल अस्सिटेंट दी जाती है.
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