कितना सामान लेकर राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे कलाम? हकीकत जान लेंगे तो करने लगेंगे सैल्यूट
15 अक्टूबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन कहे जाने वाले डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती मानता है. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था.

पूरा देश 15 अक्टूबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन कहे जाने वाले डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती मानता है. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था. हर साल उनकी जयंती वर्ल्ड स्टूडेंट डे के रूप में मनाई जाती है. यह दिन सिर्फ उनके जन्मदिन की याद ही नहीं दिलाता बल्कि उनकी सादगी, ईमानदारी और प्रेरणा को भी याद करने का अवसर माना जाता है. ऐसे में चलिए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर आज आपको बताते हैं की कलाम कितना सामान लेकर राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे.
सिर्फ दो सूटकेस लेकर पहुंचे थे राष्ट्रपति भवन
जब साल 2002 में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भारत के राष्ट्रपति चुने गए तो उनके स्वागत में राष्ट्रपति भवन को पूरी तरह सजाया गया था. सबको उम्मीद थी कि देश के नए राष्ट्रपति का बहुत सारा सामान आएगा, लेकिन जब वह राष्ट्रपति भवन पहुंचे तो वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गए थे. डॉक्टर कलाम अपने साथ सिर्फ दो सूटकेस लेकर राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे. जिनमें कुछ कपड़े और किताबें थी. वैज्ञानिक से लेकर राष्ट्रपति बनने तक का सफर तय करने के बाद भी डॉ. कलाम ने कभी निजी संपत्ति नहीं जोड़ी और जो कुछ भी कमाया उसे शिक्षा और समाज के हित में लगाया था. माना जाता है कि डॉक्टर कलाम जहां भी काम करते वहीं के सरकारी गेस्ट हाउस या आवास में रहते थे. वह आलीशान घर या निजी सुविधा लेने से हमेशा दूर रहे थे.
राष्ट्रपति भवन छोड़ते वक्त भी दिखी सादगी
साल 2007 में जब डॉक्टर कलाम ने राष्ट्रपति पद छोड़ा तो भी उनके पास वहीं दो सूटकेस थे, जिनके साथ वे राष्ट्रपति भवन आए थे. उन्होंने न तो कोई सरकारी वस्तु अपने पास रखी और न ही किसी सुविधा का दुरुपयोग किया था. माना जाता है कि उस समय उनकी सादगी और ईमानदारी ने ही उन्हें जनता का राष्ट्रपति बना दिया था.
क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड स्टूडेंट डे?
भारत में हर साल 15 अक्टूबर को वर्ल्ड स्टूडेंट डे के रूप में मनाया जाता है. यह दिन डॉ. कलाम की जयंती को समर्पित है. इस दिन उनकी शिक्षा व युवा सशक्तिकरण के प्रयासों को याद किया जाता है. हालांकि संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को आधिकारिक रूप से मानता नहीं दी फिर भी भारत में यह दिन डॉक्टर कलाम की सादगी और प्रेरणा को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है.
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Source: IOCL

























