जब कभी भी परमाणु बम का जिक्र होता है तो जापान के दो शहर हिरोशिमा और नागासाकी का नाम लिया जाता है. क्योंकि लोग जानते हैं कि जब इन दो शहरों पर बम गिरे थे तो मंजर कितना दर्दनाक था. चारों तरफ त्राहि त्राहि मची हुई थी. यही वजह है कि भले दुश्मन देश आपस में परमाणु हमले की धमकी देते हों, लेकिन इस तरह की तबाही से हर कोई बचता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि परमाणु बम सिर्फ हिरोशिमा और नागासाकी पर ही नहीं बल्कि दो अन्य देशों में भी गिराए गए थे. जिसके बारे में शायद ही कोई जानता हो. 

अमेरिका की गलती से तबाह हो जाता स्पेन

17 जनवरी 1966 को स्पेन को अंदाजा भी नहीं होगा कि अमेरिका की एक गलती पूरे यूरोप को तबाह कर सकती थी. स्पेन के आसमान में अमेरिका का बमवर्षक विमान अपने नियमित गश्त कर रहा था. इसका मकसद यूरोप के आसमान में अमेरिका की शक्ति का प्रदर्शन करना और उसकी प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखना था. अब कोई भी विमान 24 घंटे लगातार गश्त नहीं कर सकता है. उसको उड़ने के लिए फ्यूल की जरूरत होती है. अमेरिका का यह विमान उस वक्त परमाणु हथियारों से लैस था. 

अमेरिका ने हमेशा इस हादसे को दबाने की कोशिश की

अब हवा में फ्लूल भरने के दौरान वो केसी-135 टैंकर से जुड़ने की कोशिश कर रहा था, तभी एक भयानक गलती हो गई और टैंकर व बमवर्षक विमान आपस में टकरा गए. आसमान में एक भयानक आग का गोला उठा और विमान का जलता हुआ मलबा धरती पर जा गिरा. इस दौरान स्पेन की धरती पर चार परमाणु बम गिरे थे, जो कि उसे तबाह कर सकते थे. इस हादसे को हमेशा अमेरिका दबाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन दो साल के बाद इसकी हकीकत सामने आई तो पता चला कि यह परमाणु बम हिरोशिमा पर गिराए गए बम की तुलना में 100 गुना ज्यादा विस्फोटक था. जहाजों की टक्कर के बाद तीन बम स्पेन के पालोमार्स गांव में गिरे थे और एक भूमध्य सागर में गिरा था. हालांकि इससे परमाणु विस्फोट नहीं हुआ, लेकिन रेडिएशन फैल गया था. 

दूसरा हादसा कहां हुआ था

इसी तरह से आज से करीब 57 साल पहले 1968 में ग्रीनलैंड की बर्फ में अमेरिका का बी-52 बमवर्षक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इसमें चार परमाणु बम थे, जो कि वहां गिरे थे. इस घटना को ब्रोकन एरो कहा जाता है, जो कि एक अमेरकी सैन्य शब्द है. 21 जनवरी 1968 को अमेरिकी बी-52 जी स्ट्रेटोफोर्ट्रेस बमवर्षक विमान चार हाइड्रोजन बम लेकर जा रहा था. तभी वह ग्रीनलैंड के उत्तर पश्चिम कोने में वोल्स्टनहोल्म फजॉर्ड की समुद्री बर्फ पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. दरअसल विमान के केबिन में आग लग गई थी, इसीलिए चालक दल को विमान को खाली करने पर मजबूर होना पड़ा था. हालांकि परमाणु बम फटे नहीं थे, लेकिन उस क्षेत्र में रेडिएशन फैल गई थी.

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