हिंदू धर्म में सावन(Sawan) का महीना बहुत पवित्र माना जाता है. ये समय शिव भक्ति का होता है और कई लोग सावन में शिव की आराधना करते हैं. यही वजह है कि इस महीने अंडा-मांस, मदिरा का सेवन बंद कर लोग सात्विक शाकाहारी भोजन करते हैं. लेकिन एक सवाल है जो हमेशा से चर्चा का विषय बना रहा है कि बाजार में मिलने वाला अंडा शाकाहारी है या मांसाहारी तो चलिए जानते हैं. अंडा शाकाहारी या मांसाहारी?अंडा एक सुपफूड है इसमें बहुत सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं इसीलिए कहा भी जाता है संडे हो या मंडे रोज खाओ अंडे. लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि मुर्गी अंडा देती है इसलिए अंडा मांसाहारी हुआ क्योंकि अंडे के अंदर चूजे का जन्म होता है.  तो आपको बता दें कि अंडा दो तरह का होता है फर्टिलाइज्ड और अनफर्टिलाइज्ड. अंडे को फर्टिलाइज होने के लिए मुर्गी को अंडे के संपर्क में आना होता है. लेकिन बाजार में मिलने वाले सभी अंडे अनफर्टिलाइज्ड होते हैं इन अंडों से चूजे नहीं निकलते ऐसे में कुछ लोग ये तर्क देते हैं कि बाजार में मिलने वाला अंडा शाकाहारी है. क्योंकि अंडा तभी पनपता है जब वो मुर्गी के संपर्क में आता है तब उसमें चूजों का विकास होता है लेकिन बाजार में मिलने वाले अंडा ना तो मुर्गी के संपर्क में आता है ना फर्टिलाइज होता है. यही वजह है कि लोग इसे शाकाहारी की कैटेगरी में रखते हैं. 

सावन में अंडा क्यों नहीं खाना चाहिए?

धार्मिक कारण के अनुसार हिंदु धर्म में सावन को भगवान शिव को समर्पित पवित्र महीना माना जाता है. इस दौरान सात्विक और शाकाहारी भोजन को प्राथमिकता दी जाती है. अंडा तामसिक भोजन माना जाता है. यही वजह है लोग सावन में अंडे का सेवन नहीं करते हैं. वहीं सावन में अंडा ना खाने का आयुर्वेदिक कारण भी है. सावन वर्षा ऋतु में आने वाला महीना है और इस मौसम में खान-पान के कुछ नियम हैं. इस मौसम में वातावरण में नमी रहती है जिससे बैक्टीरिया जल्दी पनपते हैं. यही वजह है कि इस मौसम में लोग दूध, फल, सब्जियां और अनाज जैसे सात्विक भोजन खाते हैं. फिलहाल, अंडे को लेकर लोग तर्क चाहे जो भी दें लेकिन भारतीय शाकाहारी परंपरा में अंडा वेज नहीं माना जाता सावन में धार्मिक कारणों से इसे पूरी तरह नॉनवेज माना जाता है.

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