हर देश अपनी सैन्य शक्तियों को ऊंचाई पर ले जाना चाहता है. इसके लिए वो भिन्न-भिन्न तरीके के हथियार और फाइटर जेट्स में इन्वेस्ट करते हैं. आजकल स्टील्थ फाइटर जेट एक ऐसी तकनीक है, जो कि किसी भी देश की सैन्य शक्ति में अहम रोल निभाती है. ये विमान न सिर्फ रडार से बचने की क्षमता रखते हैं, बल्कि सुपर अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों से भी लैस होते हैं. इसके अलावा इनमें एआई और सुपरक्रूज जैसे फीचर्स भी होते हैं. अमेरिकी के बी-2 स्टील्थ बॉम्बर की बात करें तो यह अमेरिकी वायुसेना में अपनी तरह का खास हथियार है, जो कि करीब तीन दशक से अमेरिकी स्टील्थ तकनीक की रीढ़ रहा है. इसमें दुश्मन के एयर डिफेंस को भेदने की अभेद्य क्षमता तो है ही साथ ही साथ यह स्टील्थ होने की वजह से किसी भी देश के रडार को चकमा देकर निकल सकता है.

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हालांकि अब ऐसी प्रणाली विकसित हो चुकी है, जिसके जरिए ये स्टील्थ विमान भी दुश्मन देश को चकमा नहीं दे पाएंगे. चलिए जानते हैं कि वो प्रणाली किस देश के पास है और अमेरिका के बी-2 बॉम्बर आखिर उसे क्यों नहीं बच पाएंगे. 

किसके पास हैं स्टील्थ फाइटर जेट्स

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इस वक्त अमेरिका, चीन और रूस के पास स्टील्थ फाइटर जेट्स हैं. इन्हीं देशों के पास एंटी स्टील्थ रडार तकनीक भी है, जो कि स्टील्थ विमानों का पता लगाने और उनको ट्रैक करने में सक्षम है, जो कि आमतौर पर रडार की पकड़ से बचने के लिए डिजाइन किए गए हैं. भारत भी अपनी वायुसेना की ताकत को मजबूत करने के लिए एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) परियोजना शुरू की है. इसकी शुरुआती लागत करीब 15,000 करोड़ रुपये के आसपास है. इसके जरिए भारत अपने स्टील्थ फाइटर जेट्स खुद देश में बना रहा है. 

किस देश के रडार से नहीं बच सकता बी-2 बॉम्बर

रूस और चीन के अलावा भारत के पास भी स्वदेशी सूर्या VHF रडार सिस्टम है. रिपोर्ट की मानें तो ये विमान स्टील्थ विमानों के पता लगाने में सक्षम हैं. इसे भारत की वायु रक्षा प्रणाली के लिए विकसित किया गया है. यह दुश्मन के घातक स्टील्थ विमानों के लिए एक खतरा है. इसके अलावा भारतीय वायुसेना का इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) भी F-35B जैसे स्टील्थ विमानों का पता लगाने में सक्षम है.  

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