24 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ गई थी प्लेन की छत, जानें कैसे बची थी लोगों की जान
आपने कभी कल्पना की है कि चलते हवाई जहाज में प्लेन की छत उड़ गई हो? दरअसल सच में ऐसा हुआ है. चलिए जानते हैं कि फिर लोगों की जान कैसे बची?
कई लोगों के लिए फ्लाइट का सफर बड़ा रोमांचक होता है. उन्हें आसमान में उड़ती फ्लाइट काफी अच्छी लगती है. वहीं कई लोगों के लिए फ्लाइट का सफर रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ा होता है. हालांकि इसपर लोगों को भरोसा भी बहुत होता है, लेकिन कल्पना कीजिए कि आप जमीन से 24 हजार फीट की ऊंचाई पर हों और आपके प्लेन की छत ही उड़ जाए तो क्या होगा? आपको इस बात की कल्पना करना भी अजीब लग रहा होगा! लेकिन बता दें ये कोई कहानी नहीं बल्कि सच है.
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जब चलते प्लेन से उड़ गई छत
वाशिगंटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, 28 अप्रैल, 1988 को हवाई के हिलो इंटरनेशनल एयरपोर्ट से होनोलुलु के लिए उड़ान भर रहा अलाहा एयरलाइंस का फ्लाइट 243 एक ऐसी घटना का शिकार हुआ जिसने दुनिया को हिलाकर रख दिया. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 24,000 फीट की ऊंचाई पर अचानक विमान की छत का एक बड़ा हिस्सा हवा में उड़ गया. यह घटना बेहद डरावनी और अविश्वसनीय थी. विमान में सवार 89 लोगों की जान खतरे में थी, लेकिन पायलट और क्रू सदस्यों की बहादुरी और तत्काल निर्णय ने इस हादसे में कई लोगों की जान बचाई.
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कैसे चलते प्लेन की छत उड़ गई?
विमान उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद पायलट को एक जोरदार धमाका सुनाई दिया और विमान हिलने लगा. कुछ ही पलों में विमान की छत का एक बड़ा हिस्सा फटकर हवा में उड़ गया. केबिन में अचानक दबाव कम हो गया और यात्री और क्रू सदस्य हवा में उड़ने लगे.
उस समय पायलट रॉबर्ट स्कॉर्न्सथाइमर ने इस विकट परिस्थिति में भी अपने धैर्य को बरकरार रखा. उन्होंने तुरंत इमरजेंसी लैंडिंग के लिए विमान को मोड़ दिया. साथ ही क्रू सदस्यों ने भी यात्रियों को शांत करने और उन्हें सुरक्षित रखने में खास भूमिका निभाई. उन्होंने यात्रियों को ऑक्सीजन मास्क लगाने और सीट बेल्ट बांधने के लिए कहा. हालांकि विमान की छत उड़ गई थी, लेकिन विमान का बाकी हिस्सा मजबूत था. इससे विमान हवा में टूटने से बच गया और पायलट को इमरजेंसी लैंडिंग करने का मौका मिला. वहीं यात्रियों ने भी इस मुश्किल समय में शांत रहकर पायलट और क्रू सदस्यों का पूरा साथ दिया.
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