12 जून का दिन भारत के इतिहास में एक काले दिन के रूप में अंकित हो गया है. गुजरात के अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया के विमान हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री समेत कुल 241 लोगों की मौत हो गई, सिर्फ एक इंसान जिंदा बच पाया जिससे प्रधानमंत्री मोदी ने मुलाकात की और हालचाल जाना. बताया जा रहा है कि इस विमान को अहमदाबाद से सीधे लंदन जाना था जिसके चलते इसमें लाखों लीटर फ्यूल भरा गया था. चलिए, आपको बताते हैं कि क्या वाकई उड़ता हुआ टाइम बम होता है हवाई जहाज और इसमें तेल की कितनी भूमिका होती है. 

क्या उड़ता बम है हवाई जहाज?

हवाई जहाज देखने में भले ही खूबसूरत लगता हो, लेकिन यह कभी-कभी मौत का कारण भी बन सकता है जैसे गुजरात के अहमदाबाद में हुआ और ऐसे हजारों उदाहरण हैं, जिसमें विमान में सवार सभी लोग काल के गाल में समा गए. विमान में बचने के चांस तब कम हो जाते हैं जब इसके फ्यूल टैंक में आग लग जाए. क्योंकि उस दौरान यह आग का गोला बन जाता है. एक बोइंग 747 विमान में करीब 2 लाख लीटर 200,000 लीटर जेट फ्यूल आता है और छोटे विमान में यह क्षमता कम होती है. इसमें भरा जाने वाला एटीएफ काफी ज्वलनशील होता है. बस एक छोटी से गलती के बाद यह विमान को पूरी तरह आग का गोला बना सकता है. 

कब होती है खतरे की ज्यादा आशंका 

विमान का फ्यूल अपने आप चलते फिरते आग नहीं बन जाता है इसके पीछे कई कारण होते हैं, जैसे कि अगर इंजन में खराबी या इलेक्ट्रिकल फॉल्ट के कारण स्पार्क हो सकता है. कभी-कभी पक्षी भी इसके लिए माचिस का काम करते हैं और यह आग का गोला बन जाता है. फ्यूल टैंक से लीक हुआ तेल आग पकड़ सकता है, इनके अलावा रनवे पर फिसलन या ब्रेक फेल होने से बड़ा धमाका हो सकता है. 

क्या हमेशा खतरा बना रहता है?

हालांकि खतरा हमेशा बना रहता है, लेकिन हर बार ईंधन में आग लगने की संभावना नहीं होती क्योंकि आधुनिक विमान बेहद सुरक्षित होते हैं और इनको उड़ान भरने से पहले कई बार टेस्ट किया जाता है कि फ्यूल टैंक और बाकी पार्ट ठीक हैं या नहीं. अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो, तकनीकी तौर पर देखा जाए तो हवाई जहाज में इतना ज्वलनशील पदार्थ होता है कि वह विस्फोट कर सकता है. हवाई यात्रा सबसे सुरक्षित साधन मानी जाती है, क्योंकि इसमें मरने वालों की संख्या सड़क या रेल दुर्घटनाओं से काफी कम है.

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