अहमदाबाद में बड़ा प्लेन हादसा हो गया. इसमें कई लोगों ने जान गंवाई है. एयर इंडिया का प्लेन अहमदाबाद से लंदन जा रहा था. तभी अचानक ये हादसे का शिकार हो गया. जब किसी विमान हादसे में जान-माल का नुकसान होता है, तो सबसे बड़ी चुनौती होती है मृतकों की पहचान करना.
हादसे की भयावहता इतनी होती है कि कई बार शव बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और पहचानना बेहद मुश्किल हो जाता है. ऐसे में प्रशासन और विशेषज्ञों की एक टीम बेहद सावधानी और साइंटिफिक तरीकों से यह काम करती है. आइए जानते हैं कि किसी विमान हादसे के बाद शवों की पहचान कैसे की जाती है. मौके पर सबसे पहले पहुंचती है रेस्क्यू टीम हादसे के तुरंत बाद पुलिस, एनडीआरएफ, मेडिकल और फॉरेंसिक टीमें मौके पर पहुंचती हैं. सबसे पहले जिन्दा बचे लोगों को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया जाता है. फिर घटनास्थल पर मौजूद शवों को इकट्ठा कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाता है. डीएनए जांच से होती है पुष्टि अगर शव की हालत इतनी खराब होती है कि चेहरा या शरीर से पहचान संभव नहीं होती, तो वैज्ञानिक तरीका अपनाया जाता है - डीएनए टेस्ट. इसके लिए शव के ऊतक, बाल या हड्डियों से डीएनए सैंपल लिया जाता है और उसकी तुलना परिवार के किसी सदस्य से लिए गए सैंपल से की जाती है. फिंगरप्रिंट और मेडिकल रिकॉर्ड की मदद अगर शव का कोई हिस्सा सुरक्षित होता है, जैसे उंगलियां, तो फिंगरप्रिंट लेकर उसकी पहचान की जाती है. इसके अलावा, शवों के पुराने मेडिकल रिकॉर्ड, जैसे एक्स-रे, दांतों के इलाज की फाइल या सर्जरी के निशान भी पहचान में मदद करते हैं. कपड़े, गहने और सामान भी मददगार कई बार शवों के साथ मिले कपड़े, गहने, घड़ी, मोबाइल, चश्मा या कोई और निजी सामान से भी परिजन पहचान कर लेते हैं. लेकिन यह तरीका केवल प्रारंभिक पहचान के लिए होता है, अंतिम पुष्टि डीएनए या फिंगरप्रिंट से ही की जाती है. परिवार से होता है संपर्क हादसे में मारे गए लोगों की लिस्ट बनाकर उनके परिवार वालों से संपर्क किया जाता है. उन्हें शव की हालत और पहचान प्रक्रिया के बारे में बताया जाता है. परिवार की मौजूदगी में ही पहचान की पुष्टि होती है.