Human Brain After Death: क्या आपने कभी सोचा है कि इंसान कभी मर जाता है तो क्या होता है. पहली बार में भले ही यह सवाल आपको आध्यात्मिक लग सकता है, क्योंकि गरुण पुराण में इसको लेकर अलग जवाब मिलते हैं कि मृत्यु के बाद आत्मा शरीर से निकलकर किस लोक में जाती है. लेकिन इसको अलग साइंस के नजरिए देखा जाए तो विज्ञान कुछ और ही कहता है. सवाल यह है कि जब इंसान मर जाता है तो उसके दिमाग का क्या होता है. क्या उसका दिमाग मरने के बाद भी जिंदा रहता है. अगर ऐसा होता है तो कितनी देर तक दिमाग जिंदा रहता है. चलिए इन सवालों के जवाब जानते हैं.
क्या है डीकंपोजीशन
आज के दौर में ऑर्गन डोनेशन का चलन तेजी से बढ़ रहा है. लोग अपने शरीर के कुछ अंगों का दान करके न जानें कितने लोगों की जान बचाते हैं. ऐसे में एक सवाल यह है कि अगर हमने ऑर्गन डोनेट किए हैं तो क्या दिमाग भी डोनेट क्या जा सकता है. या फिर इंसान के मरते ही ब्रेन भी डेड हो जाता है. क्योंकि मत्यु के बाद शरीर में ऑक्सीजन की पूर्ति रुक जाती है. आमतौर पर लोग मौत का मलतब यह समझते हैं दिल ने धड़कना बंद कर दिया है, लेकिन यह एक पूरी लंबी प्रक्रिया है. दिल की धड़कनें बंद होने के बाद बहुत कुछ हो रहा होता है. इस पूरी प्रोसेस को डीकंपोजीशन कहा जाता है.
मरने के बाद कितनी देर जिंदा रहता है दिमाग
दिल की धड़कन बंद होते ही शरीर धीरे-धीरे डीकंपोज होना शुरू हो जाता है. हालांकि यह सब कुछ ऑक्सीजन पर निर्भर होता है. इसका सबसे जल्दी और सीधा असर दिमाग पर होता है. इंसान की मौत के कुछ मिनट के बाद ही उसकी ब्रेन सेल्स मरने लगती हैं. आमतौर पर तीन से सात मिनट के अंदर दिमाग दम तोड़ देता है. इसलिए इसे डोनेट करना नामुमकिन है. हालांकि शरीर के बाकी अंग जैसे लिवर, किडनी, आंखें, लंग्स, पैंक्रियाज आदि को अगर कोई चाहे तो डोनेट कर सकता है.
कौन से अंग मरने के कितनी देर बाद जिंदा रहते हैं
हालांकि इंसान की मौत के बाद पहले से डोनेट किए गए अंगों को इंसान की मौत के बाद समय रहते बाहर निकाल लेना पड़ता है और इनको प्रिजर्व करके रखना होता है. तभी ये किसी जरूरतमंद के शरीर में ट्रांसप्लांट किए जा सकते हैं और इसके जरिए किसी को नया जीवन मिल सकता है. हमारे शरीर में ब्रेन 3-7 मिनट, हार्ट 4-6 घंटे, लंग्स 4-8 घंटे, लिवर 8-12 घंटे, किडनी 24-36 घंटे, पैंक्रियाज 12-18 घंटे जिंदा रहते हैं.