दुनिया के कई देश इस वक्त एक ऐसी समस्या से जूझ रहे हैं जिसका हल उनके पास नहीं है. यह समस्या है युवाओं की कमी और बुजुर्गों की बढ़ती जनसंख्या का. दरअसल, अब तक इस समस्या से सबसे ज्यादा पीड़ित चीन था, लेकिन अब जापान भी इसी कतार में खड़ा हो गया है. वहां युवाओं की संख्या तेजी से कम हो रही है, जबकि बुजुर्ग तेजी से बढ़ रहे हैं. जापान इस वक्त गिरते जन्म दर की समस्या से बहुत ज्यादा पीड़ित है. इसकी सबसे बड़ी झलक वहां पैदा होने वाले बच्चों की संख्या से लगाई जा सकती है.


जापान की सभ्यता को बचाना मुश्किल हो जाएगा


जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा समेत पूरा देश इस वक्त वहां गिरती जन्मदर समस्या से परेशान है. रिपोर्ट के आधार पर जो आंकड़े आज से 8 साल बाद आने चाहिए थे, वह आज सामने खड़े हो गए हैं. सबसे बड़ी बात कि जापान के सामने इस वक्त अपने अस्तित्व को बचाने का संकट खड़ा हो गया है.


बुजुर्गों की बढ़ रही है संख्या


किसी भी देश का विकास उसके युवाओं के कंधों पर टिका होता है. लेकिन जापान और चीन दो ऐसे देश हैं जिनके युवाओं की संख्या लगातार कम हो रही है. हालांकि, यहां बुजुर्गों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. जापान के प्रधानमंत्री इसी बात से चिंतित हैं, उनका कहना है कि अगर इस देश की जनसंख्या इतनी तेजी से गिरती रही और युवा कम होते रहे तो यहां का कार्य बल भी कम होगा और अगर ऐसा हुआ तो इस देश के सामाजिक ढांचे को बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा.


बच्चों से संबंधित बजट बढ़ाया जाएगा


जापान के प्रधानमंत्री किशिदा ने नारा दिया है कि अभी नहीं तो कभी नहीं. दरअसल, इस वक्त जापान में जन्म और बच्चे के पालन पोषण से संबंधित नीतियां एक बड़ा मुद्दा बन गई हैं. इसी को लेकर जापान के प्रधानमंत्री ने कहा है कि जून तक ऐसी परियोजनाएं जनता के सामने पेश करेंगे, जिससे बच्चों और उनके परिवार वालों से संबंधित समस्याएं कम हो जाएंगी. इसके साथ ही इनसे संबंधित बजट को भी दोगुना कर दिया जाएगा. दरअसल, इस वक्त चीन और दक्षिण कोरिया के बाद बच्चे को पालने के लिए जापान तीसरा सबसे महंगा देश है.


क्या कहता है रिसर्च


युवा जनसंख्या रिसर्च के मुताबिक, चीन और दक्षिण कोरिया के बाद जापान की भी गिनती अब उन देशों में तीसरे नंबर पर होने लगी है जहां जनसंख्या तेजी से कम हो रही है. आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से यह एक चिंताजनक विषय है. हाल ही में आपको याद होगा चीन ने जानकारी दी थी कि साल 2022 तक उसकी जनसंख्या पिछले 60 वर्षों में पहली बार कम हुई, वहीं यूरोप के भी कई देश अपने यहां तेजी से कम होती जनसंख्या से परेशान हैं.


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