दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है. बता दें कि दिल्ली की 70 सीटों पर हुए मतदान में बीजेपी ने 48 सीटों पर जीत दर्ज की है, वहीं आम आदमी पार्टी के खाते में सिर्फ 22 सीटें आई हैं. इसके अलावा बाकी किसी भी पार्टी का खाता नहीं खुला है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि किसी भी पार्टी को कितने विधायक मिलकर तोड़ सकते हैं. आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.

राज्य सरकार

दिल्ली की 70 सीटों वाले विधानसभा में दो बार से सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी को करारी हार मिली है. हार तक तो मामला ठीक था, लेकिन आप पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली विधानसभा से अपनी सीट भी नहीं बचा पाए हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद पंजाब में आप सरकार के विधायकों को लेकर चर्चा तेज हो गई है. क्या आप जानते हैं कि किसी भी पार्टी को कब कितने विधायक तोड़ सकते हैं और उस समय एंटी डिफेक्शन लॉ लागू भी नहीं होगा.

क्या है एंटी डिफेक्शन लॉ?

सबसे पहले ये जानते हैं कि एंटी डिफ्केशन लॉ क्या है. बता दें कि राजनीति में नेताओं का दल बदलना आम बात है, अक्सर चुनाव से पहले नेता कभी इस पाले से उस पाले में जाते हैं, कभी उस पाले से इस पाले में आते हैं. दरअसल इसी को रोकने के लिए ही राजीव गांधी सरकार ने 1985 में संविधान में 92वां संशोधन किया था. इस संशोधन में दल बदल विरोधी कानून यानी एंटी डिफेक्शन लॉ पारित किया था. उस वक्त इस कानून का मकसद सियासी फायदे के लिए नेताओं के पार्टी बदलने और हॉर्स ट्रेडिंग रोकना था. इस कानून को संविधान की 10वीं अनुसूची में रखा गया है. जब कोई नेता पार्टी बदलता है या कोई ऐसी चाल चले, जिससे दूसरी पार्टी का नेता समर्थन करे तो इसे हॉर्स ट्रेडिंग कहा जाता है. आम बोलचाल की भाषा में इसे दल-बदलना या दल-बदलू भी कहा जाता है.

कब नेता बदल सकते हैं दल?

बता दें कि अगर कोई विधायक या सांसद अपनी मर्जी से पार्टी की सदस्यता छोड़ देता है,तो इस कारण उसकी सीट छिन सकती है. वहीं कोई विधायक या सांसद जानबूझकर मतदान से अनुपस्थित रहता है या फिर पार्टी द्वारा जारी निर्देश के खिलाफ जाकर वोट करता है, तो उसे अपनी सीट गंवानी पड़ सकती है. वहीं अगर कोई निर्दलीय सांसद या विधायक किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल हो जाते हैं, तो वे अयोग्य करार दिए जाएंगे. हालांकि किसी विधायक या सांसद को अयोग्य घोषित करने का अधिकार विधानमंडल के सभापति या अध्यक्ष पीठासीन अधिकारियों द्वारा लिया जाता है.

इन नेताओं पर नहीं लागू होगा कानून

बता दें कि एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत कुछ अपवाद भी हैं. इसके तहत सांसदों और विधायकों को दल-बदल विरोधी कानून का सामना नहीं करना पड़ता है. दरअसल किसी राजनीतिक दल के एक-तिहाई सांसद या विधायक इस्तीफा दे देते हैं, तो इस कानून के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती है. इसके अलावा अगर किसी पार्टी के दो-तिहाई सांसद या विधायक किसी अन्य पार्टी में शामिल हो जाते हैं, तो इस स्थिति में भी इसे दलबदल नहीं माना जाता है. 

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