Taliban FM Deoband Visit: भारत में है 'दारुल उलूम देवबंद' तो पाकिस्तान में ऐसा क्या है, जहां से की थी तालिबानियों ने पढ़ाई?
Taliban FM Amir Khan Muttaqi Deoband Visit: इस्लामी शिक्षा का केंद्र होने के कारण दारुल उलूम एक अंतरराष्ट्रीय पहचान रखता है. यह इस्लामी शिक्षा का केंद्र ही नहीं, देवबंदी आंदोलन का उद्गम स्थल रहा है.

Taliban FM Amir Khan Muttaqi Deoband Visit: अफगानिस्तान के विदेश मंत्री और तालिबानी नेता अमीर खान मुतक्की के भारत दौरे के बीच उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में स्थित देवबंद चर्चा में आ गया है. दरअसल, मुतक्की आज यानी 11 अक्टूबर को देवबंद का दौरा करने वाले हैं. इस दौरान वह यहां स्थित दारुल उलूम जाएंगे और यहां समय बिताएंगे. मुतक्की के दौरे को लेकर दारुल उलूम प्रशासन तैयारियों में जुटा हुआ है. बता दें, दारुल उलूम देवबंद एक विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान है, जिसे हनफी विचारधारा का केंद्र माना जाता है.
हालांकि, सबसे बड़ा सवाल यह है कि मुतक्की दारुल उलूम जैसे संस्थान का दौरा क्यों कर रहे हैं? क्या इसका तालिबान से कोई कनेक्शन है? क्या दारुल उलूम की तरह पाकिस्तान में भी ऐसा कोई संस्थान है? चलिए जानते हैं इन सवालों के जवाब...
भारत में दारुल उलूम तो पाकिस्तान में क्या?
सबसे पहले तो यह जान लें कि इस्लामी शिक्षा का केंद्र होने के कारण दारुल उलूम एक अंतरराष्ट्रीय पहचान रखता है. यह केवल इस्लामी शिक्षा का केंद्र ही नहीं, बल्कि देवबंदी आंदोलन का भी उद्गम स्थल रहा है. 1857 के विद्रोह के बाद जब भारत में अधिकतर मुस्लिम संगठन या तो बंद हो गए थे या दिशाहीन हो गए थे, तब भारतीय मुसलमानों को इस्लामी शिक्षा प्रदान करने के लिए देवबंद की स्थापना की गई थी. 1866 में मौलाना मुहम्मद कासिम नानोत्वी, हाजी आबिद हुसैन जैसे विद्वानों ने इसकी नींव रखी थी. दारुल उलूम की ही तर्ज पर पाकिस्तान में दारुल उलूम हक्कानिया की स्थापना की गई थी, जिसका मकसल इस्लामी शिक्षा का प्रचार-प्रसार था.
तो तालिबान से इसका क्या है कनेक्शन?
अब सवाल है कि दारुल उलूम से तालिबान का कनेक्शन क्या है, जबकि तालिबान का उदय तो पाकिस्तान में ही हुआ? इसके जवाब के लिए हमें पाकिस्तान में स्थापित हुए दारुल उलूम हक्कानिया के इतिहास में झांकना होगा. बता दें, तालिबान के शीर्ष नेताओं का इस संस्थान से गहरा नाता रहा है ओर इसे 'तालिबान की पाठशाला' भी कहा जाता है. तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर ने यहीं से पढ़ाई की थी. वहीं, दारुल उलूम हक्कानिया के संस्थापक मौलाना अब्दुल हक ने भारत में स्थित दारुल उलूम देवबंद से पढ़ाई की थी. यानी मुल्ला उमर के गुरू दारुल उलूम देवबंद के ही छात्र रहे हैं.
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