The Limping Lady: हिटलर, जब हम ये नाम सुनतें हैं तो हमारे सामने एक ऐसा क्रूर चेहरा बनता है, जिसने न सिर्फ यहूदियों का कत्लेआम किया बल्कि पूरी दुनिया को दूसरे विश्वयुद्ध की आग में झोंक दिया. आज भी अगर हिटलर की बात होती है तो उसे मानवता के सबसे बड़े हत्यारे और यहूदियों के सबसे बड़े संघारक के रूप में याद किया जाता है.

ये तो हो गई हिटलर की क्रूरता की बात, लेकिन क्या आपको मालूम है कि दुनिया में ऐसा कौन सा शख्स था या थी, जिससे हिटलर भी खौफ खाता था. चलिए आज हम आपको बताते हैं उस इंसान के बारे में जिसने दुनिया के सबसे क्रूर तानाशाह को भी खौफ में ला दिया था.

एक लड़की जिससे पूरी जर्मन फौज थी परेशानएक पैर पर चलने वाली इस महिला जासूस ने पूरे जर्मन शासन को दोनों पैर पर दौड़ा रखा था. इस लड़की का नाम था वर्जीनिया हॉल. एक तरफ जहां नाजी अपने दुश्मनों और उनके लड़ाकों के साथ जासूसों को मौत के घाट उतार रहे थे तो दूसरी तरफ एक विदेशी जासूस ऐसी थी जो नाजी के फ्रांस में हो रहे तमाम मिशन को फेल कर रही थी और उनकी जानकारी पहले ही लीक कर दे रही थी. वैसे तो इस महिला जासूस का नाम वर्जिनिया हॉल था. मगर नाजी जर्मन के लिए इसका बस एक ही नाम था वह था the limping lady यानी नाजियों का खौफ!

एक टांग थी पर नाजियों को दोनों टांगों पर दौड़ाया वर्जीनिया हॉल  का एक टांग नकली था जो उन्होंने एक दुर्घटना के बाद लगाई थी और जिससे चलते समय वह थोड़ा लंगड़ाती थीं. हॉल लकड़ी के बने पैर का इस्तेमाल करती थीं. हॉल का सपना डिप्लोमेट बनने का था जिसके लिए उन्होंने अमेरिका में अप्लाई भी किया था. लेकिन विकलांग होने की वजह से वह यह सपना पूरा नहीं कर पाईं. फ्रांस पढ़ने आई हॉल को इस कदर फ्रांस से प्यार था कि जब जर्मनी ने द्वितीय युद्ध के दौरान फ्रांस पर कब्जा किया तो उन्होंने लोगों की मदद करने के लिए एम्बुलेंस चलाना भी सीखा.

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दो-दो खुफिया एजेंसियों में काम कियावर्जीनिया हॉल ब्रिटेन की गुप्त सेवा, Special Operations Executive (SOE) और बाद में अमेरिकी Office of Strategic Services (OSS) के लिए काम किया. वर्जीनिया हॉल की जासूसी इतनी खतरनाक थी कि उनको पकड़ने के लिए जर्मन गेस्टापो ने काफी प्रयास किया, लेकिन कभी सफल नहीं हो पाए. हॉल की शुरूआत SOE के एक जासूस के रूप में फ्रांस के शहर पेरिस से शुरू हुई, जहां पर उन्होंने एक रिपोर्टर के तौर पर अपनी सेवा जारी की. जर्मनी में हॉल का खौफ कुछ इस कदर कि उन्होंने पूरे फ्रांस में इनकी पोस्टर लगा कर लिखा "सबसे खतरनाक जासूस" जिसे पकड़कर मारना है.

रूप बदलने में माहिर हॉल रूप बदलने में काफी माहिर थी, कहीं कहीं इसका जिक्र मिलता है कि हॉल एक दिन में चार चार बार रूप बहल लेती थी, सबसे खास बात यह होती थी कि इन चारों नामों के अलग-अलग कोड नेम होते थे. हॉल ने फ्रांस के लड़कों को इकठ्ठा किया जो जर्मन से नफरत करते थे और फ्रांस में रह रहे नाजी जर्मन के खिलाफ एक मोर्चा खोल दिया था.  द्वितीय विश्वयुद्ध खत्म होने के बाद हॉल को Distinguished Service Cross  के आवार्ड से नवाजा गया.

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