Piyush Pandey Passes Away: भारतीय विज्ञापन जगत के मशहूर नाम पीयूष पांडे अब हमारे बीच नहीं रहे. उन्होंने अपनी रचनात्मकता से विज्ञापन की दुनिया को नई पहचान दी और हिंदी को उसकी आत्मा बना दिया. उनकी सोच ने ब्रांड्स को सिर्फ बाजार तक नहीं, बल्कि लोगों के दिलों तक पहुंचाया. सहज और आम बोलचाल की भाषा में कहानी कहने की उनकी शैली ने विज्ञापन को एक कला का रूप दे दिया. उन्होंने अपने करियर में ऐसे कई यादगार विज्ञापन बनाए, जो आज भी लोगों के जेहन में जिंदा हैं.
उनकी क्रिएटिव सोच ने न सिर्फ विज्ञापन जगत की दिशा बदली, बल्कि भारतीय ब्रांड्स को भावनाओं से जोड़ दिया. जो लोग शायद उन्हें नाम से नहीं जानते, उनके लिए हम लाए हैं पीयूष पांडे के आइकॉनिक विज्ञापन, जो भारतीय ऐड इंडस्ट्री की पहचान बन चुके हैं.
फेविकॉल का ट्रक वाला विज्ञापन
साल 2007 में पीयूष पांडे ने फेविकॉल जैसे आम प्रोडक्ट को भावनाओं से जोड़ दिया था. एड में एक ट्रक ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चलता है, लेकिन ऊपर बैठे लोग गिरते नहीं. टैगलाइन थी- ‘फेविकॉल का जोड़ है, टूटेगा नहीं.’ इस सादे कॉन्सेप्ट ने ब्रांड को घर-घर में पहचान दिलाई. इस ऐड ने सिर्फ प्रोडक्ट नहीं बेचा, बल्कि फेविकॉल को मजबूत रिश्तों का प्रतीक बना दिया. इसे कई अवॉर्ड मिले और ये भारतीय विज्ञापन इतिहास की क्लासिक बन गया.
कैडबरी का क्रिकेट वाला विज्ञापन
2007 में आया यह ऐड आज भी लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाता है. एक बच्चा क्रिकेट में छक्का मारते ही खुशी से झूमने लगता है और पूरा मोहल्ला उसके साथ नाच उठता है. पीयूष पांडे की जादुई आवाज और टैगलाइन ‘कुछ खास है जिंदगी में!’ ने इस ऐड को भावनाओं से जोड़ दिया. इसने कैडबरी को सिर्फ चॉकलेट नहीं, बल्कि खुशी और जश्न का प्रतीक बना दिया.
एशियन पेंट्स का हर घर कुछ कहता है
साल 2002 में आया यह ऐड एक परिवार की यादों से भरी कहानी थी. दीवारों पर सजी पुरानी तस्वीरें, पिता की यादें, और पेंट के रंगों में बसी भावनाएं, सब कुछ जोड़ दिया टैगलाइन थी, ‘हर घर कुछ कहता है’. यह विज्ञापन हर भारतीय घर का हिस्सा बन गया और एशियन पेंट्स को मार्केट का लीडर बना दिया.
हच (वोडाफोन) का पग वाला विज्ञापन
2003 का यह प्यारा ऐड आज भी याद किया जाता है. एक बच्चा और उसका साथ निभाता छोटा पग, जिसने ब्रांड को पहचान दिलाई लाइन ‘व्हेयरवर यू गो, हच इज विद यू.’ इसने टेक्नोलॉजी को भावनाओं से जोड़ा और दिखाया कि कनेक्शन सिर्फ नेटवर्क से नहीं, रिश्तों से बनता है. ‘भाई, हच है ना!’ जैसी बोलचाल की लाइन ने इसे घर-घर में फेमस कर दिया.
भाजपा का अबकी बार मोदी सरकार
2014 का चुनावी नारा ‘अबकी बार, मोदी सरकार’ आज भी लोगों की जुबान पर है. इसे भी पीयूष पांडे ने ही गढ़ा. सरल, सीधा और असरदार, इस स्लोगन ने भारतीय राजनीति में मार्केटिंग की ताकत दिखा दी.
पल्स पोलियो का दो बूंदें जिंदगी की
सरकारी अभियान को आम लोगों तक पहुंचाने वाली ये लाइन भी पीयूष पांडे का ही कमाल था. ‘दो बूंदें जिंदगी की’ सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि देशभर में पोलियो उन्मूलन का आंदोलन बन गया था.
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