8th Pay Commission: सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को खत्म हो रहा है. सभी को उम्मीद है कि नया वेतन ढांचा 1 जनवरी 2026 से लागू होगा. इसी बीच एक बड़ा सवाल चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या फिटमेंट फैक्टर को कम या ज्यादा किया जा सकता है. आइए जानते हैं क्या है इस सवाल का जवाब.
फिटमेंट फैक्टर क्या है
फिटमेंट फैक्टर एक मल्टीप्लायर है जिसका इस्तेमाल केंद्र सरकार के कर्मचारियों के मूल वेतन और पेंशन को रिवाइज करने के लिए किया जाता है. जब भी कोई नया वेतन आयोग लागू होता है तो मौजूदा मूल वेतन को फिटमेंट फैक्टर से गुणा करके रिवाइज्ड मूल वेतन निकाला जाता है. इस संख्या का वेतन, भत्ते, पेंशन और कुल टेक होम सैलेरी पर काफी बड़ा असर पड़ता है.
क्या फिटमेंट फैक्टर बढ़ाया जा सकता है
फिटमेंट फैक्टर को बढ़ाया जा सकता है और कर्मचारी यूनियन ठीक यही मांग कर रही हैं. अलग-अलग कर्मचारी संघों ने 3.68 के फिटमेंट फैक्टर की मांग की है. उनका तर्क है की बढ़ती महंगाई, जीवन यापन की बढ़ती लागत और स्थिर वास्तविक वेतन इस बड़ी बढ़ोतरी को सही ठहराते हैं.
क्या कम फिटमेंट फैक्टर भी संभव है
फिटमेंट फैक्टर को कम भी किया जा सकता है. यह सरकार की वित्तीय स्थिति, टैक्स राजस्व, सब्सिडी के बोझ और कुल आर्थिक स्थितियों पर निर्भर करता है. इसी के साथ अगर सरकार वित्तीय अनुशासन और घाटे को कंट्रोल करने को प्राथमिकता देती है तो वेतन और पेंशन खर्चे में अचानक बढ़ोतरी से बचने के लिए फिटमेंट फैक्टर को मामूली रखा जा सकता है. आठवें वेतन आयोग के लागू होने तक महंगाई भत्ते के 60 से 70% तक पहुंचाने का अनुमान है. इस महंगाई भत्ते को मूल वेतन में विलय करने के बाद फिटमेंट फैक्टर की गणना की जाएगी. फिटमेंट फैक्टर पर आखिरी फैसला सिर्फ केंद्रीय कैबिनेट द्वारा ही लिया जाएगा. यह आयोग की सिफारिशों को संशोधित करने का अधिकार रखती है.
हालांकि अभी तक सरकार ने कोई ऑफिशियल फिटमेंट फैक्टर अनाउंस नहीं किया है. एक बार जब आठवां वेतन आयोग औपचारिक रूप से बन जाएगा तो पैनल को अपनी सिफारिशें देने से पहले सैलरी, महंगाई के ट्रेंड और कर्मचारियों की मांग को समझने के लिए लगभग 18 महीने मिलेंगे. इस रिपोर्ट को कैबिनेट द्वारा स्वीकार करने के बाद ही फाइनल फिटमेंट फैक्टर का पता चलेगा.
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