2027 Census India: यूनियन कैबिनेट ने आने वाली 2027 की जनगणना के लिए 11,718 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी दे दी है. आपको बता दें कि यह भारत की पहली पूरी तरह से डिजिटल जनगणना होगी. इस बड़े पैमाने पर गिनती के काम के लिए देश बढ़ाते लगभग 30 लाख सरकारी कर्मचारियों को लगाया जाएगा.  इसी बीच एक सवाल सामने आ रहा है कि क्या केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को अलग से सैलरी देगी और क्या उन्हें बूथ लेवल ऑफिसर की तरह पैसे मिलते हैं? आइए जानते हैं इस बारे में पूरी जानकारी.

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जनगणना कर्मचारियों के लिए अलग से सैलरी 

दरअसल केंद्र सरकार 30 लाख जनगणना कर्मचारियों को अलग से सैलरी नहीं देती है. जनगणना के काम को मौजूदा सरकारी कर्मचारियों को दी गई अतिरिक्त जिम्मेदारी के तौर पर माना जाता है. टीचर, रेवेन्यू स्टाफ, आंगनवाड़ी वर्कर, क्लार्क और दूसरे राज्य या केंद्र सरकार के अधिकारियों को आमतौर पर गिनती करने वाले या सुपरवाइजर के तौर पर नियुक्त किया जाता है. वे अपने-अपने डिपार्टमेंट से अपनी रेगुलर महीने की सैलरी लेते रहते हैं. आपको बता दें कि जनगणना का काम उनकी ऑफिशल सर्विस ड्यूटी का ही हिस्सा माना जाता है. यही वजह है कि इस टेंपरेरी काम के लिए कोई पूरी एक्स्ट्रा सैलरी नहीं दी जाती.

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मानदेय और भत्ते 

वैसे तो कोई अलग सैलरी नहीं होती लेकिन जनगणना कर्मचारियों को मानदेय दिया जाता है. यह मानदेय काम पूरा होने के बाद एक मुश्त दिया जाता है. यह रकम जिम्मेदारियों, काम के बोझ,  डिजिटल डेटा हैंडलिंग और सुपरविजन ड्यूटी के आधार पर अलग-अलग होती है. पिछली जनगणना साइकिल से यह पता चलता है कि मानदेय आमतौर पर ₹6000 से 10000 रुपए तक होता है.

बूथ लेवल ऑफिसर कैसे अलग है 

बूथ लेवल ऑफिसर भारत के चुनाव आयोग के तहत आते हैं, जनगणना मशीनरी के तहत नहीं. उनका काम पूरे साल चलता रहता है. जैसे: इलेक्टोरल रोल अपडेट करना, वोटर डीटेल्स वेरीफाई करना, फील्ड चेक करना. अब क्योंकि यह जिम्मेदारी लगातार चलती रहती है इस वजह से बूथ लेवल ऑफिसर को चुनाव से जुड़े कामों के लिए अलग से मेहनताना मिलता है. एक बूथ लेवल ऑफिसर को जनगणना के काम के लिए पेमेंट तभी मिलता है जब वह जनगणना एन्यूमेरेटर के तौर पर काम करता है, इसलिए नहीं कि वह बूथ लेवल ऑफिसर है.

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