कोरोना संक्रमण से बचाने की कवायद में केंद्र सरकार की ओर से एक ऐप को डाउनलोड करने की सलाह दी जा रही है. इस ऐप का नाम है आरोग्य सेतु ऐप. सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए तो इस ऐप का इस्तेमाल ज़रूरी बनाया ही गया है, कई प्राइवेट कंपनियों में भी इस ऐप के बिना कंपनी के अंदर दाखिल होने की इजाजत नहीं मिल रही है. इतना ही नहीं, फंसे हुए यात्रियों को उनके स्टेशन तक पहुंचाने के लिए जो स्पेशल ट्रेन चलाई गई हैं, उनमें भी बिना आरोग्य सेतु ऐप के कोई यात्रा नहीं कर सकता है.


लेकिन इस ऐप को लेकर कई सवाल भी उठे हैं. आरोप लगे हैं कि ऐप के जरिए निजी डाटा लीक हो रहा है. खुद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी इस ऐप पर सवाल उठा चुके हैं. कई हैकर्स ने इस ऐप को हैक करने का भी दावा किया है. ऐसे में हम आपको ये बताने की कोशिश कर रहे हैं इस ऐप में सुरक्षित आपके डाटा को कौन, कैसे और कब इस्तेमाल कर सकता है.


आईटी सेक्रेटरी हैं अजय प्रकाश साहनी. वो कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए बनी कई समितियों में से एक समिति एंपावर्ड ग्रुप ऑन टेक्नॉलजी एंड डाटा मैनेजमेंट के चेयरपर्सन भी हैं. 11 मई को उनकी ओर से एक आदेश जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि आरोग्य सेतु ऐप में किसी यूजर के डाटा को सिर्फ सरकार और उन एजेंसियों के साथ ही शेयर किया जा सकता है, जिनके पास डाटा तक पहुंच है. इसके अलावा डाटा का इस्तेमाल सिर्फ उसी उद्देश्य के लिए किया जा सकता है, जिस उद्देश्य से इस डाटा को इकट्ठा किया गया है. नए आदेश में कहा गया है कि नेशनल इन्फॉर्मेशन सेंटर उन सभी एजेंसियों की लिस्ट बनाएगी, जिनके पास इस डाटा को एक्सेस करने की इजाजत है या फिर जिनके साथ इस डाटा को शेयर किया जा रहा है.


अब सवाल ये है कि इस तरह के आदेश की ज़रूरत ही क्यों पड़ी है. तो इसका जवाब जानने के लिए सबसे पहले ये जानना ज़रूरी है कि आरोग्य सेतु ऐप आपसे-हमसे कौन-कौन सा डाटा मांगता है. तो इस ऐप की ओर से मांगी गई जानकारी को चार हिस्सों में बांट सकते हैं. डेमोग्राफिक डाटा, कॉन्टैक्ट डाटा, सेल्फ एसेसमेंट डाटा और लोकेशन डाटा. इन सबको मिलाकर कहा जाता है रेस्पॉन्स डाटा. डेमोग्राफिक डाटा में नाम, मोबाइल नंबर, उम्र, लिंग, काम और आपकी यात्रा का विवरण पूछा जाता है.


कॉन्टैक्ट डाटा में ऐप ये जानने की कोशिश करता है कि आप किसी दूसरे के संपर्क में आए हैं या नहीं, अगर आए हैं तो कितने वक्त के लिए, संपर्क के दौरान आपकी दूसरे शख्स से दूरी कितनी थी और वो जगह जहां पर आपका किसी और से संपर्क हुआ था. सेल्फ एसेसमेंट में ऐप आपसे आपके स्वास्थ्य की जानकारी लेता है. लोकेशन डाटा में ऐप आपकी लोकेशन लेता है.


अब सवाल है कि आपके इस डाटा का इस्तेमाल कौन कौन कर सकता है. नए दिशा निर्देशों के मुताबिक आरोग्य सेतु ऐप में दिए गए रेस्पॉन्स डेटा को ऐप बनाने वाले नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर के साथ शेयर किया जा सकता है. नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर इस डाटा को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य विभाग, स्थानीय प्रशासन, नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी, स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी, केंद्र और राज्यों के अलग-अलग मंत्रालयों के साथ ही दूसरे सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं के साथ शेयर कर सकता है, जहां इसकी मदद से कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई को और मज़बूत किया जा सकता है.


इसके अलावा अगर भारत की किसी यूनिवर्सिटी या फिर किसी रिसर्च इंस्टिट्यूट को अपनी रिसर्च के लिए इस डाटा की ज़रूरत होगी, तो उसे भी ये डाटा दिया जा सकता है. ये यूनिवर्सिटी या रिसर्च इंस्टिट्यूट इस डाटा को इस तरह से किसी दूसरे इंस्टिट्यूट के साथ भी शेयर कर सकती हैं, लेकिन उसके लिए उन्हें इजाजत लेनी होगी और ये साबित करना होगा कि इस डाटा को वो जिसे शेयर कर रही हैं, वो इनका इस्तेमाल रिसर्च के लिए ही करेगा.


वो मंत्रालय या सरकारी दफ्तर जिनके साथ इस डाटा को शेयर किया गया है, वो इसके जरिए इलाके की पहचान को छोड़कर किसी की व्यक्तिगत पहचान नहीं कर पाएंगे. जिन-जिन एजेंसियों के पास ये डाटा जाएगा, उनकी एक लिस्ट बनेगी, उस पर वक्त लिखा होगा कि कब डाटा शेयर किया गया है और वजह लिखी होगी कि डाटा शेयरिंग का मकसद क्या है. इसके अलावा जिस दिन ऐप में डाटा इकट्ठा हुआ है, उसके 180 दिन के बाद वो डाटा खुद से ही खत्म हो जाएगा.


इसके अलावा अगर कोई चाहता है कि उसका डाटा ऐप से हटा दिया जाए तो उसके अनुरोध पर 30 दिन के अंदर उसके डाटा को हमेशा के लिए हटा दिया जाएगा.  आरोग्य सेतु ऐप पर आए डाटा के इस्तेमाल से संबंधित जो भी नए कायदे-कानून हैं, वो अगले छह महीने के लिए लागू रहेंगे. और अगर कोई इन आदेशों का उल्लंघन करता है तो उसे आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत जेल या जुर्माना या फिर दोनों ही हो सकता है.