Mumbai Monsoon Woes: एक बार फिर मानूसनी बारिश (Monsoon Rain) से मायानगरी मुंबई जलमग्न हो गई है. महज 24 घंटे की बारिश से यहां जलभराव (Waterlogging) से जिंदगी बेहाल हो रही है और इस पर मौसम विज्ञान विभाग (Indian Meteorological Department) ने मुंबई और ठाणे के लिए ऑरेंज ( भारी बारिश) और पालघर और रायगढ़ के लिए रेड अलर्ट जारी किया है. इसमें दो राय नहीं की आने वाले दिनों में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई वालों के दिन आसान नहीं होंगे. यहां मानसूनी सीजन में जिंदगी की रफ्तार यूं ही नहीं थमती है. इस सीजन के इतने परेशानी भरे होने के पीछे पांच अहम वजहे हैं. 

मुंबई में बारिश फिल्मों की तरह खूबसूरत नहीं

भले ही बॉलीवुड का गढ़ मुंबई अपनी फिल्मों के जरिए देश ही नहीं बल्कि दुनिया में बारिश को रोमांटिक और दिलकश पेश करता आया हो,लेकिन वह खुद इस बारिश से हमेशा ही परेशान नजर आता है. यहां मानसूनी सीजन "आज रपट जाएं तो हमें न उठाइयो" की तरह रोमांटिक नहीं होता है. मुंबई के कई हिस्सों में ये बारिश जान पर आफत ले आती है. यहां इससे हुए जलभराव की वजह से जिंदगी की रफ्तार थम जाती है. इतना ही नहीं कभी ये यहां मौत और विनाश के तांडव की भयावह कहानियों की वजह भी बनती है.सोमवार 4 जुलाई की रात हुई बारिश को देखा जाए तो इससे शहर और उपनगरों का बुरा हाल हो गया. इसमें  सायन (Sion)और अंधेरी (Andheri) के इलाके पानी से भर गए. ऐसा क्या है जो मुंबई मानसूनी बारिश से पैदा हुई अप्रिय स्थितियों का सामना नहीं कर पाता और यह सीजन परेशानी का सबब बन जाता है.

स्थलाकृति -जिस पर बसा है मुंबई

इस तटीय शहर (Coastal City) की स्थालाकृति (Topography) में कई निचले इलाके हैं और कुछ काफी ऊंचे हैं. शहर के कुछ हिस्सों को सात द्वीपों के बीच दोबारा ली गई (Reclaimed ) भूमि पर बनाया गया था, इसलिए तश्तरी (Saucer)के आकार के इलाके हैं. इसका मतलब है कि विशेषकर भारी बारिश होने पर स्वाभाविक तौर पर पानी इन इलाकों की तरफ बह जाता है. हालांकि बारिश बंद होने के बाद ही यह पानी इन इलाकों से बहकर निकल भी जाता है. इन इलाकों में सायन, अंधेरी (Andheri ), मिलन (Milan),खार ( Khar Subway) सबवे शामिल हैं, जो भारी बारिश के बाद कुछ घंटों तक जलमग्न रहते हैं. यही वजह रही कि सोमवार की रात जैसे ही शहर और उसके उपनगरों में बारिश हुई, सायन और अंधेरी में पहले ही बाढ़ जैसे हालाता हो गए. यहां तक ​​कि जब और अधिक बारिश के लिए हाई अलर्ट भी था.

समुद्र में ज्वार- भाटे के उतार चढ़ाव
 
मुंबई का स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम समुद्र (Storm Water Drainage System) में जाकर खाली होता है. उच्च ज्वार (High Tide) के दौरान - जब समुद्र का स्तर बढ़ जाता है तब समुद्र (Sea) के पानी को शहर की जल निकासी प्रणाली में वापस जाने से रोकने के लिए नालियों को फाटकों से अवरुद्ध कर दिया जाता है. इससे भी बदतर स्थिति तब आती है जब भारी बारिश के साथ उच्च ज्वार आता है. इस वजह से पंपों के इस्तेमाल से जल निकासी करनी पड़ती है. हालांकि ज्वार थमने के बाद ड्रेनेज सिस्टम फिर से काम करना शुरू कर देता है. लेकिन इसमें छह घंटे तक लग सकते हैं. 
 
जमीन में पानी का रिसाव न होना
 
दुनिया भर के अधिकांश शहरों में बारिश का कम से कम आधा पानी जमीन में समा (Percolation) यानि रिस जाता है. लेकिन मुंबई के मामले में ऐसा नहीं है. यहां भारी बारिश के दौरान इसका 90 फीसदी पानी इसके लिए बनाई गई नालियों के जरिए से निकाला जाता है. इससे ड्रेनेज सिस्टम (Drainage System) पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है.
 
मौसम का भारी और असामान्य मिजाज
 
मुंबई में ड्रेनेज सिस्टम समान रूप से फैले मानसून के लिए बनाए गए हैं. लेकिन, हाल के वर्षों में, मुंबई में कुछ बहुत भारी बारिश के दौर देखे हैं. इसके बाद शुष्क मौसम (Dry Spells) और फिर बहुत भारी बारिश हुई है. इस तरह से असामान्य तौर से होने वाली भारी बारिश के दिनों में बारिश के पानी के निकास के लिए बनाए गए बढ़ी हुई क्षमता वाले नाले भी वास्तव में इसे झेल नहीं पाते हैं. 
 
लोगों का अतिक्रमण
मुंबई में मुख्य नालों (Major Drains) के पास बड़े पैमाने पर अतिक्रमण (Encroachment) देखा गया है, जिससे ठोस अपशिष्ट और गाद को साफ करना एक चुनौतीपूर्ण काम बन जाता है. प्री-मानसून (Pre-Monsoon) में नालों की सफाई के बावजूद अक्सर मानसून में नालियां जाम हो जाती हैं. इसका मतलब है कि स्वाभाविक तौर से अधिक जलभराव (Waterlogging) का हो जाना.
 
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