Karnataka Congress CM Face: कर्नाटक कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर छिड़ा घमासान अब खत्म हो चुका है, पार्टी के दो बड़े नेताओं की दावेदारी के बाद सिद्धारमैया के नाम पर मुहर लग गई है, हालांकि अब तक औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है. सिद्धारमैया एक बार फिर डीके शिवकुमार के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनकर खड़े हो गए और उन्हें मात भी दे दी. कर्नाटक में अहिंदा की राजनीति करने वाले सिद्धारमैया का पलड़ा पहले से ही भारी नजर आ रहा था, वहीं डीके भी अड़े थे. आखिरकार सिद्धारमैया बाजी मारने में सफल रहे. हालांकि ये पहली बार नहीं है जब सिद्धारमैया का पलड़ा भारी रहा हो, इससे पहले भी 2013 में सिद्धारमैया मुख्यमंत्री पद की रेस में मल्लिकार्जुन खरगे और डीके शिवकुमार को पछाड़ चुके हैं. 


सिद्धारमैया और डीके के बीच था मुकाबला
कर्नाटक में सत्ता से बाहर होने के बाद कांग्रेस ने चुनावों में जमकर मेहनत की और रिकॉर्ड 135 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया. इस बड़ी जीत का सेहरा दो नेताओं के सिर पर सजाया गया, पहले थे पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और दूसरे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और संकचमोचक डीके शिवकुमार... जीत का जमकर जश्न मना, लेकिन जब मुख्यमंत्री चुनने की बारी आई तो कांग्रेस संकट में घिर गई. करीब चार दिनों तक चले मंथन के बाद आखिरकार सीएम की कुर्सी सिद्धारमैया की झोली में गिरी. 


कांग्रेस में बढ़ा सिद्धारमैया का कद
सिद्धारमैया ने देवेगौड़ा की पार्टी जेडीएस के साथ लंबी राजनीति की, लेकिन जब उन्हें लगा कि एचडी कुमारस्वामी के रहते उन्हें कभी भी मुख्यमंत्री पद तक पहुंचने का मौका नहीं मिलेगा तो कांग्रेस से हाथ मिला लिया. 2008 में सिद्धारमैया ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया और इसके बाद पार्टी को मजबूत करने का काम किया. सिद्धारमैया अहिंदा यानी दलित, मुस्लिम और पिछड़ों की राजनीति के लिए जाने जाते हैं, जिसका फायदा सीधे कांग्रेस को मिला. इसके बाद कांग्रेस में सिद्धारमैया का कद लगातार बढ़ता चला गया. 


जब सिद्धारमैया ने दी थी खरगे को मात
कर्नाटक में चल रहे राजनीतिक घटनामक्रम से 2013 की यादें ताजा हो गई हैं. जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खरगे सीएम की रेस में सबसे आगे चल रहे थे, लेकिन सिद्धारमैया ने बाजी पलट दी. साल 2013 में जब मल्लिकार्जुन खरगे को सीएम बनाने की बात सामने आई तो सिद्धारमैया ने विधायकों को अपने पाले में ले लिया, जिसका नतीजा ये रहा कि जेडीएस से आए सिद्धारमैया को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पद दे दिया. वहीं मल्लिकार्जुन खरगे को राष्ट्रीय राजनीति में भेज दिया गया. इसके बाद सिद्धारमैया ने बतौर मुख्यमंत्री कई ऐसी योजनाएं लागू कीं, जो जनता के बीच काफी मशहूर हो गईं. जिनमें इंदिरा कैंटीन और अन्न भाग्य जैसे योजनाएं शामिल थीं. जिनसे सिद्धारमैया का एक बड़ा जनाधार तैयार हुआ. 


अब एक बार फिर डीके शिवकुमार के सामने सिद्धारमैया एक चुनौती की तरह खड़े हैं. बताया जा रहा है कि उनके पक्ष में करीब 90 विधायक हैं, जिसकी वजह से पार्टी उन्हें नाराज नहीं करना चाहती. वहीं डीके शिवकुमार भी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के उस जख्म को खरोचने की कोशिश कर रहे हैं, जो 2013 में सिद्धारमैया ने दिया था. यहां तक कि डीके शिवकुमार खरगे को कह चुके हैं कि आप कर्नाटक के सीएम बन जाएं. 


दोनों नेताओं में पुरानी है अदावत 
कर्नाटक में जिन दो नेताओं के बीच सीएम पद को लेकर लड़ाई हो रही है, उनकी अदावत काफी पुरानी है. जहां डीके शिवकुमार कांग्रेस के वफादार नेता माने जाते हैं और पार्टी को हर संकट से निकालने का काम करते आए हैं, वहीं सिद्धारमैया ने अपनी अलग राजनीति के चलते कांग्रेस में अपनी जगह बनाई. कहा जाता है कि जब 2013 में सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाया गया तो उन्होंने डीके शिवकुमार को अपनी कैबिनेट में शामिल करने से ही इनकार कर दिया था, आलाकमान की तरफ से काफी कोशिशों के बाद डीके को मंत्री पद दिया गया. यही वजह है कि अब डीके शिवकुमार मजबूती से अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे और नहीं चाहते थे कि सिद्धारमैया को सीएम पद मिले. 


क्या होगा डीके का अगला कदम
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस फिलहाल बड़ी दुविधा में फंसी हुई थी. सभी समीकरणों को देखते हुए आखिरकार सिद्धारमैया को चुन लिया गया, लेकिन अब सवाल ये है कि डीके शिवकुमार का अगला कदम क्या होगा. ये देखना दिलचस्प होगा कि खरगे की तरह डीके शिवकुमार इस फैसले को स्वीकार करते हैं या नहीं, या वो पार्टी को कितना बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं. हालांकि कांग्रेस की पूरी कोशिश रहेगी कि डीके के साथ डील सेट कर ली जाए. फिलहाल उन्हें डिप्टी सीएम का पद ऑफर किया गया है.