BJP JDU Relations History: बीजेपी (BJP) और जेडीयू (JDU) का गठबंधन 17 साल पुराना कहा जाता है, हालांकि एक बार इसमें सेंध लग चुकी है लेकिन जेडीयू ने फिर से इसमें वापसी कर ली थी. अब एक बार फिर से बीजेपी-जेडीयू गठबंधन (BJP JDU Alliance) के कमजोर की होने की अटकलबाजी चल रही है और कहा जा रहा है कि कभी भी बिहार (Bihar) के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) बीजेपी का साथ छोड़ सकते हैं.


बिहार में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच आइये जानते हैं कि आखिर बीजेपी के समर्थन से पहली बार बिहार में कैसे बनी थी नीतीश कुमार की सरकार और कब कैसा रहा बीजेपी-जेडीयू का रिश्ता.


ऐसे अस्तित्व में आई JDU


2003 से पहले तक जनता दल यूनाइटेड (JDU) केवल जनता दल (Janta Dal) हुआ करता था. 1999 के लोकसभा चुनाव में जनता दल के एक गुट ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को समर्थन दे दिया, जिसके बाद दल दो हिस्सों में बंट गया. इसके पहले हिस्से ने एचडी देवेगौड़ा नेतृत्व में जनता दल सेक्युलर (JDS) पार्टी बना ली और दूसरे धड़े की कमान शरद यादव ने संभाली. 30 अक्टूबर 2003 को शरद यादव के धड़े, लोकशक्ति पार्टी और समता पार्टी का विलय हो गया और इस प्रकार नई पार्टी जनता दल यूनाइटेड का गठन हुआ. हालांकि, चुनाव आयोग ने समता पार्टी का विलय रद्द कर दिया. 


जब पहली बार बीजेपी के समर्थन से CM बने नीतीश कुमार


बिहार के 2005 के विधानसभा चुनाव से पहले जेडीयू एनडीए में शामिल हो चुकी थी. 2005 का विधानसभा चुनाव बीजेपी और जेडीयू ने पहली बार साथ में लड़ा और आरजेडी के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार को पटखनी दे दी. लेकिन इस वर्ष विधानसभा का चुनाव दो बार हुआ. पहले चुनाव में किसी के पास 122 का स्पष्ट बहुमत न होने कारण राष्ट्रपति शासन लगा और फिर अक्टूबर-नवंबर में दोबारा चुनाव हुए तो बीजेपी-जेडीयू ने सरकार बना ली. इस प्रकार बीजेपी के पहली बार समर्थन से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने. 


2005 का चुनाव आरजेडी लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी के नेतृत्व में लड़ी थी. पहले चुनाव में आरजेडी 75 सीटें जीती थी. जेडीयू ने 138 सीटों लड़ी थी और 55 सीटें जीतीं, वहीं बीजेपी ने 103 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 37 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई थी. कांग्रेस महज 10 सीटें जीत पाई थी. किसी के पास 122 का स्पष्ट बहुमत न होने के कारण राष्ट्रपति शासन लग गया.


इसी साल अक्टूबर-नवंबर में दोबारा चुनाव हुए, जिसमें जेडीयू ने 139 सीटों पर लड़ी और 88 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन गई. बीजेपी ने 102 सीटों में से 55 सीटें जीतीं, आरजेडी ने 175 में से 54, लोक जनशक्ति पार्टी ने 203 में 10 सीटें जीतीं और कांग्रेस 51 में से महज 9 सीटें ही जीत पाई थी. 







बीजेपी से जब टूटा नीतीश का रिश्ता


2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और जेडीयू के संबंध अपने-अपने राजनीतिक हितों के चलते तल्ख हो गए. बीजेपी ने 2014 के चुनाव बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को चुनाव प्रकार कमेटी का प्रमुख बना दिया. जेडीयू ने इसके विरोध में एनडीए के साथ गठबंधन खत्म कर दिया. लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने कम्युनिस्ट पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन असफलता मिली. चुनाव नतीजों के बाद बिहार की सत्ता बड़ा उलटफेर सामने आया. नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था और जीतनराम मांझी सीएम बन गए थे. बीजेपी ने इस सरकार से बहुमत सिद्ध करने के लिए कहा तो आरजेडी ने जेडीयू को समर्थन दे दिया था और सरकार गिरने से बच गई. 


अप्रैल 2015 में जेडीयू, आरजेडी, समाजवादी पार्टी, समाजवादी जनता पार्टी और इंडियन नेशनल लोकदल ने यूपीए का दामन छोड़ महागठबंधन बनाने का एलान किया लेकिन सीटों को लेकर पार्टियों में आपसी तालमेल नहीं बैठा, समाजवादी पार्टी ने खुद को अलग कर लिया. 2015 का विधानसभा चुनाव में जेडीयू,आरजेडी और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा और इस गठबंधन ने 178 सीटें जीत लीं. नीतीश कुमार एक बार फिर सीएम बन गए. 


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एनडीए में जेडीयू की वापसी


26 जुलाई 2017 को नीतीश कुमार ने 20 महीने पहले ही बने महागठबंधन को खत्म करने का एलान कर पद से इस्तीफा दे दिया और अगले ही दिन जेडीयू ने एनडीए में वापसी कर ली और बीजेपी के सहयोग से नीतीश ने फिर से सीएम पद की शपथ ली. सदन में एनडीए ने बहुमत सिद्ध कर दिया. 


2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए ने जबरदस्त जीत हासिल की. 40 में 39 सीटें एनडीए ने जीत लीं. बीजेपी 17, एलजेपी 6 और जेडीयू 16 सीटें जीती थी. 2020 के विधानसभा चुनाव में भी जेडीयू ने एनडीए के साथ चुनाव लड़ा और सरकार बना ली लेकिन अभी डेढ़ साल के कार्यकाल में कई बार दोनों के बीच में अनबन होने की बात सियासी गलियारों में गूंजरी रही है.


बिहार के राजनीति के मौजूदा हालात


पिछले काफी समय से सीएम नीतीश कुमार मोदी सरकार की बैठकों और कार्यक्रमों से दूरी बनाए हैं. वह नीति आयोग की बैठक में भी शामिल नहीं हुए. इसके उलट उनके कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर संपर्क साधने की खबर आई. वहीं, आरसीपी सिंह के अचानक जेडीयू से इस्तीफे और जेडीयू द्वारा पार्टी सांसदों-विधायकों की बैठक बुलाए जाने पर बिहार की सत्ता में बड़े उलटफेर की कयासबाजी ने जोर पकड़ लिया है. आजेडी के साथ जेडीयू के जाने की अटकलबाजी का बाजार गर्म है. बीजेपी की तरफ से फिलहाल मामले को लेकर कुछ नहीं कहा गया है. वह वेट एंड वॉच की स्थिति में है.


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