नई दिल्ली:  अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 24 फरवरी को भारत आएंगे. कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्रंप का स्वागत प्रोटोकॉल तोड़कर अहमदाबाद हवाई अड्डे पर खुद जाकर करेंगे. अब ऐसी स्थिति में आपके मन में भी सवाल आ रहा होगा कि आखिर ये प्रोटोकॉल है क्या जिसके टूटने को लेकर चर्चा हो रही है. आइए हम आपको बताते हैं कि किसी भी दूसरे देश से जब कोई प्रमुख भारत आता है तो उसके स्वागत को लेकर क्या नियम होते हैं या यूं कहे कि क्या  प्रोटोकॉल होते हैं.


दरअसल प्रोटोकॉल को आसान भाषा में समझे तो वह एक तरह की पॉलिसी होती है जिसे भारत आने वाले दूसरे देश के प्रमुख के स्वागत के दौरान अपनाता है.


प्रोटोकॉल की जिम्मेदारी विदेश मंत्रालय की होती है. मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स (MEA) में प्रोटोकॉल डिविजन होते हैं. यही नोडल ऑफिस होता है जो किसी भी देश के प्रेसीडेंट, वॉइस प्रेसीडेंट या मिनिस्टर्स के भारत आने का पूरा मैनेजमेंट देखता है. इस डिविजन को एक चीफ प्रोटोकॉल ऑफिसर लीड करता है.


यहां ये बता दें कि मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स का यही विभाग होता है जो भारत के प्रेसीडेंट, वॉइस प्रेसीडेंट, प्राइम मिनिस्टर आदि के बाहर जाने से जुड़ा प्रोटोकॉल भी देखता है.


क्या होती है जिम्मेदारियां


मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स प्रोटोकॉल डिविजन को अलग-अलग जिम्मेदारी दी जाती है. इसे मुख्यतौर पर तीन सब-ऑफिसेज में बांटा जाता है. हर एक को डिप्टी चीफ प्रोटोकॉल (DCP) द्वारा लीड किया जाता है. अगर इनकी जिम्मेदारियों की बात करें तो डीसीपी की मुख्य जिम्मेदारी विजिट्स को हेंडल करने की होती है.


जब दूसरे देश का प्रमुख भारत आता है तो अपनाई जाती है रेसिप्रोसिटी की पॉलिसी


जब दूसरे देश से कोई प्रमुख मेहमान के तौर पर भारत आता है तो हमारा देश उसके स्वागत में रेसिप्रोसिटी की पॉलिसी अपनाता है. रेसिप्रोसिटी की पॉलिसी से मतलब यह है कि जिस देश का प्रमुख आ रहा है उस देश में हमारे देश के रह रहे नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार होता है. उस देश में जब हमारे देश से कोई प्रमुख गया तो कैसा स्वागत हुआ. इन सभी बातों को ध्यान में रखकर संबधित राष्ट्र के प्रमुख को भारत आने पर सुविधाएं दी जाती है.


क्या प्रधानमंत्री किसी दूसरे देश के राष्ट्र प्रमुख को लेने हवाई अड्डे जा सकते हैं


आमतौर पर अगर देखा जाए तो अमेरिका और रूस जैसे देश अपने प्रोटोकॉल को लेकर काफी फिक्स होते हैं जबकि भारत में प्रोटोकॉल में काफी फ्लेक्सिबिलिटी है. दरअसल प्रोटोकॉल के मुताबिक प्रधानमंत्री किसी भी देश के प्रमुख को लेने खुद हवाई अड्डे पर नहीं जा सकते हैं लेकिन कई बार प्रोटोकॉल निर्णय राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर लिए जाते हैं. पीएम प्रोटोकॉल तोड़कर भी कई गणमान्य नागरिकों का वेलकम करते हैं. ऐसा देशहित में किया जाता है.


सुरक्षा को लेकर भी होते हैं सख्त प्रोटोकॉल


हर डिग्नेटरी के लिए सिक्योरिटी का मिनिमम प्रोटोकॉल फॉलो किया ही जाता है. काफिले में कितनी गाड़ियां होंगी, इमरजेंसी के लिए कौन सी गाड़ियां होंगी, ट्रैफिक क्लियर करने के लिए कौन सी टीम होगी, जैसी बातों को फॉलो किया जाता है.


इसके अलावा अधिकांश राष्ट्रों के प्रेसीडेंट के आने से पहले उनके देश की एक टीम आकर सुरक्षा का जयजा लेती है. नके प्रमुख को जहां-जहां जाना है, वहां की सिक्योरिटी कैसी होगी? इसकी जांच करती है.


ठहरने से लेकर खाने तक की पसंद मेहमान देश के प्रमुख की होती है


जिस किसी देश के प्रमुख भारत आते हैं उनके साथ अपनी उनकी एक टीम होती है. दूसरे देश से आने वाले डिग्नेटरी अपने फूड और कहां ठहरना है, इसका निर्णय खुद लेते हैं. यह काम संबंधित देश की एम्बेसी के जरिए किया जाता है. उनकी मांग के मुताबिक ही यहां इंतजाम किए जाते हैं.


प्रधानमंत्री मोदी से पहले भी कई प्रधानमंत्री तोड़ चुके हैं प्रोटोकॉल


असल में प्रोटोकॉल के तहत प्रधानमंत्री किसी भी देश के राष्ट्राध्यक्ष का स्वागत करने एयरपोर्ट नहीं जाते हैं. नरेंद्र मोदी हालांकि कई बार ऐसा कर चुके हैं. सितंबर 2014 में पीएम मोदी ने पहली बार चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का अहमदाबाद में प्रोटोकॉल तोड़कर स्वागत किया था. इसके बाद जनवरी 2015 में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा का दिल्ली एयरपोर्ट पर प्रोटोकॉल तोड़कर स्वागत किया. इसी साल दिसंबर 2015 में उन्होंने जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे का अपने संसदीय क्षेत्र बनारस में प्रोटोकॉल तोड़कर स्वागत किया. इसके अलावा जनवरी 2016 फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रैंक ओलांद, जनवरी 2017 में अबु धाबी के प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नहयान, अप्रैल 2017 में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, अप्रैल 2017 में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल, सितंबर 2017 में पानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे, नवंबर 2017 में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप, 2018 में बेंजमिन नेतन्याहू आदि का स्वागत भी प्रोटोकॉल तोड़कर कर चुके हैं.


पीएम मोदी से पहले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पांच अलग मौकों पर विदेशी मेहमानों के स्वागत के लिए एयरपोर्ट जाकर कथित सरकारी प्रोटोकॉल को तोड़ चुके हैं.