नई दिल्ली: देश में कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या में एक दिन में अचानक बड़ा उछाल आया है. जहां रोजाना औसतन 2500 लोगों की कोरोना से जान जा रही थी वहीं बीते दिन अचानक 6148 संक्रमितों की मौत का आंकड़ा सामने आया है. मौत के आंकड़े में एकदम इतना उछाल आने के बाद से कई सवाल उठ रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या मौत का आंकड़ा छिपाया जा रहा है.


क्यों बढ़ गए मौत के मामले?
देश में मौत का आंकड़ा बढ़ने का संबंध दरअसल बिहार से है. बिहार में कोरोना से मौत का आंकड़ा एक दिन में ही अचानक 73 फीसदी तक बढ़ गया है. यहां सात जून तक मौत का कुल आंकड़ा 5424 था, ये अगले दिन बढ़कर 9375 हो गया. यानी की एक दिन में मौत का आंकड़ा 3951 बढ़ गया. इसी आंकड़े की वजह से देशभर में मौत का आंकड़ा भी बढ़ गया. पटना में सबसे ज्यादा 1070 अतिरिक्त मौतें जोड़ी गई हैं. वहीं बेगूसराय में 316, मुजफ्फरपुर में 314, नालंदा में 222 अतिरिक्त मौतें जोड़ी गई हैं.


प्रशासन ने वजह क्या बताई
बिहार के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि कोरोना वायरस से संक्रमित कई मरीजों की मौत घर में आईसोलेशन के दौरान हो गई. कुछ मरीजों मौत घर से अस्पताल जाते वक्त हो गई और कई लोगों की मौत कोरोना से ठीक होने के बाद भी हुई है. स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि जांच होने के बाद ऐसे कई मामलों को जोड़ा गया है. हालांकि ये नहीं बताया गया है कि ये मौत कब हुई थी.


आखिर कैसे हुआ अतिरिक्त मौत का खुलासा
बिहार में कोरोना से मौत के आंकड़े छुपाने को लेकर विपक्ष की ओर से लगातार सवाल उठाए जा रहे थे. ये मामला हाईकोर्ट भी पहुंचा. पटना हाईकोर्ट ने पिछले महीने बिहार सरकार से कोरोना से मौत के आंकड़ों की सही गिनती करने को कहा था. इसके लिए एक कमेटी बनायी गयी थी, जिसने मौत के आंकड़े में बदलाव पाया. आखिरकार बिहार सरकार ने उन अतिरिक्त मौत के आंकड़े को जोड़ ही दिया.


कैसे मौतें छिपाई गई
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय हर दिन राज्यों की रिपोर्ट के आधार पर देश में नए कोरोना मामले, ठीक हुए लोग और मौत का आंकड़ा जारी करता है. आमतौर पर कोविड अस्पताल प्रशासन की ओर से राज्य सरकार को मौत का आंकड़ा दिया जाता है. राज्यों से केंद्र सरकार के पास आता है. लेकिन दूसरी लहर के दौरान काफी लोगों की मौत घर पर ही हो गई थी. उन्हें अस्पताल जाने का समय ही नहीं मिला या अस्पताल में बेड खाली नहीं थे. बीमारी के इलाज के अभाव में उन्होंने घर पर ही दम तोड़ दिया. ऐसे लोगों की संख्या को अस्पताल और राज्यों ने अपने डेली डेटा सिस्टम में अपडेट नहीं किया. बिहार पहला राज्य है, जहां अतिरिक्त मौत के आंकड़े को जोड़ा गया है. अब सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या देश के दूसरे राज्यों में भी ऐसे ही मौत के आंकड़े छिपाएं जा रहे हैं? 


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