बात 1961 की है, उन दिनों तनुजा एक फिल्म में काम कर रही थीं जिसका नाम था 'हमारी याद आएगी'. तनुजा की पढ़ाई विदेश में हुई थी जिसकी वजह से उनका हाथ हिंदी में थोड़ा तंग था. इसी वजह से फिल्म के डायरेक्टर केदार शर्मा को 6 महीनों तक तनुजा के डिक्शन पर काम करना पड़ा था.


फिल्म की शूटिंग शुरू हुई तो एक सीन में तनुजा को जोर-जोर से रोना था लेकिन रोने की जगह तनुजा को हंसी आ रही थी, जिसकी वजह से बार-बार रीटेक हो रहे थे. केदार शर्मा ने कई बार तनुजा को सीरियस होने के लिए कहा लेकिन तनुजा की हंसी रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. बार-बार रीटेक होने की वजह से पूरी फिल्म की टीम का टाइम खराब हो रहा था. वहीं रोने के लिए उपयोग होने वाली ग्लिसरीन की पूरी बोतल खाली हो गई, लेकिन सीन ओके नहीं हुआ.


जब पानी सर से ऊपर हो गया तो केदार शर्मा को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने फिल्म की पूरी यूनिट के सामने तनुजा को थप्पड़ मार दिया. इस थप्पड़ के बाद तनुजा सच में रोने लगी जो इस सीन की डिमांड थी. सीन शूट करके तनुजा रोते-रोते अपनी गाड़ी में बैठीं और घर चली गईं.


जब तनुजा ने ये पूरा किस्सा मां को बताया तो मां उन्हें वापस फिल्म के सेट पर लें गईं और डायरेक्टर से कहा कि 'ये तुम्हारी फिल्म की एक्ट्रेस है, गलती पर इसे मारने का तुम्हें पूरा अधिकार है, मैं बीच में नहीं आउंगी.' तनुजा को अपनी मां की वो बात और केदार शर्मा का थप्पड़ हमेशा याद रहा. उसके बाद तनुजा ने अपने करियर में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.