मुंबई: पिछले 7 सालों से लोकप्रिय टीवी शो 'सावधान इंडिया' को होस्ट करते आ रहे जाने-माने अभिनेता सुशांत सिंह ने CAA और दिल्ली के छात्रों के साथ पुलिस द्वारा की गई हिंसा के विरोध में सोमवार को मुंबई यूनिवर्सिटी में आयोजित एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया था. उसी रात उन्हें स्टार भारत चैनल की तरफ से 'सावधान इंडिया' में एक होस्ट के तौर पर हटाए जाने का मैसेज आ गया था.
शो में अपनी पारी के खत्म होने का ऐलान खुद ट्विटर पर सुशांत सिंह ने किया था, जिसके बाद अटकलों का दौर शुरू हो गया था कि सुशांत को विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने की कीमत चुकानी पड़ी है. सुशांत ने इस मसले पर एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए इस मामले में खुलकर बात करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि ये मात्र संयोग भी हो सकता है और वे इसका ज्यादा मतलब निकालकर इसपर चर्चा नहीं करना चाहते हैं.
इस पूरे मसले पर अब स्टार भारत के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर अपनी सफाई पेश की है. चैनल के प्रवक्ता ने कहा, "स्टार भारत 'सावधान इंडिया' में बदलाव के मद्देनजर कुछ प्रतिक्रियाओं को लेकर व्यथित है. 'सावधान इंडिया' हमेशा से ही अपने फॉर्मेट के साथ प्रयोग करता रहा है और अपने 7 सालों के सफर के दौरान वह एक से अधिक प्रेजेंटर्स का भी इस्तेमाल करता रहा है. मौजूदा प्रेजेंटर (सुशांत सिंह) को अक्टूबर, 2019 में वापस शो में लाया गया था, जिनका अनुबंध 15 जनवरी, 2020 को खत्म होना था. 'सावधान इंडिया' के अगले फॉर्मेट में प्रेजेंटर की जरूरत नहीं है और यही वजह है कि कोई नया अनुबंध नहीं बनाया गया है. चैनल का अपना कोई राजनीतिक नजरिया नहीं है और न ही वह अपने द्वारा अनुबंधित कलाकारों के विचारों को प्रभावित करने की उसकी कोई मंशा है."
उल्लेखनीय है प्रदर्शन के एक दिन बाद यानी मंगलवार को ट्विटर पर 'सावधान इंडिया' के साथ अपनी पारी के अंत का ऐलान करने वाले सुशांत सिंह से जब एक फॉलोअर ने पूछा, "क्या आपको सच बोलने की कीमत चुकानी पड़ी है"? इसका जवाब देते हुए सुशांत ने लिखा - बहुत छोटी सी कीमत मेरे दोस्त. भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को क्या जवाब देंगे?"
एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए सिने ऐंड टीवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन के सचिव सुशांत सिंह ने कहा कि भारतीय नागरिकता संशोधन कानून धर्म के आधार पर विभाजन करने वाला कानून है, जिसके वे सख्त खिलाफ हैं. उन्होंने दिल्ली में छात्रों के खिलाफ पुलिस की बर्बरता पर भी अपनी नाराजगी जताई और प्रदर्शन को छात्रों का बुनियादी हक बताया.