बॉलीवुड में अक्सर फिल्मी सितारे अपने काम के साथ-साथ निजी जिंदगी से जुड़े अनुभव भी साझा करते रहते हैं. इस कड़ी में फिल्ममेकर और मशहूर कोरियोग्राफर फराह खान ने अभिनेत्री कुनिका सदानंद के साथ बातचीत की. इस दौरान उन्होंने मजाक में कुछ ऐसा कह दिया, जिसकी चर्चा काफी जोरों से होने लगी है.

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इस मजाक की शुरुआत तब हुई, जब कुनिका सदानंद ने 'बिग बॉस 19' से जुड़ा एक पुराना किस्सा याद किया. उन्होंने बताया कि शो के दौरान फराह खान ने उनके व्यवहार पर तंज करते हुए उन्हें कंट्रोल फ्रीक कहा था. उस समय यह बात उनको बहुत बुरी लगी थी और वह अंदर से टूट गई थीं. कुनिका ने स्वीकार किया कि फराह की उस कमेंट के बाद वह रो पड़ी थीं और उन्हें काफी दुख हुआ था.

चीज को संभालने की कोशिश कींकुनिका ने बताया, 'उस घटना के बाद मैंने अपने व्यवहार और रिश्तों पर गंभीरता से सोचना शुरू किया. मुझे एहसास हुआ कि मैं अपनी पूरी जिंदगी में लोगों को इतना ज्यादा प्यार और ध्यान देती रही हूं कि कई बार सामने वाले को घुटन महसूस होने लगती थी. मैं रिश्तों में हर चीज को संभालने और कंट्रोल करने की कोशिश करती थी. चाहे वह दोस्ती हो, प्यार हो या परिवार का रिश्ता. जब मैंने यह आदत धीरे-धीरे कम की तो मुझे खुद के भीतर एक सकारात्मक बदलाव महसूस हुआ.'

कुनिका ने माना फराह सही हैंकुनिका ने फराह से बातचीत के दौरान कहा कि अब मुझे लगता है कि आपकी बात पूरी तरह गलत नहीं थी. मैंने अपने पुराने रिश्तों को याद किया. चाहे वह बॉयफ्रेंड्स हों या दूसरे करीबी लोग और समझा कि कई बार ज्यादा केयर और ज्यादा प्यार भी रिश्तों को भारी बना देता है. कुनिका की यह बात सुनकर फराह खान ने मजाकिया अंदाज में कहा कि अब तो नया बॉयफ्रेंड बनाने का सही समय आ गया है.

फराह ने शेयर की निजी जिंदगी की बातेंइसके बाद फराह ने अपनी निजी जिंदगी से जुड़ा एक अहम अनुभव भी साझा किया. इससे बातचीत और भी दिलचस्प हो गई. फराह खान ने बताया कि वह खुद भी पहले काफी कंट्रोलिंग हुआ करती थीं. खासकर घर के मामलों में.उन्होंने कहा, 'फिल्मों के सेट पर काम करते हुए हर चीज पर नजर रखना और हर किसी को निर्देश देना उनकी आदत बन चुकी थी. यही आदत धीरे-धीरे उनकी निजी जिंदगी में भी आ गई थी. लेकिन, समय के साथ मैंने महसूस किया कि हर चीज को कंट्रोल करना जरूरी नहीं होता.'

आजादी देने से रिश्ते बेहतर होते हैंफराह ने कहा, 'अब मैं जानबूझकर घर पर चीजों को छोड़ना सीख रही हूं. मैं अपने परिवार को अपने फैसले खुद लेने देती हूं और उन्हें अपनी गलतियों से सीखने का मौका देती हूं. जब लोग बड़े हो जाते हैं, तो हमें उन्हें हर कदम पर रोकने या टोकने की जरूरत नहीं होती. आजादी देने से रिश्ते बेहतर होते हैं और घर का माहौल भी शांत रहता है. अब मैं बेवजह का तनाव नहीं लेती. मैंने चीजों को लेट गो करना सीख लिया है.'