बात उन दिनों की है जब, मुंबई ब्रांदा रेलवे स्टेशन के पास एक गेस्ट हाउस था जिसका नाम था बॉम्बे गेस्ट हाउस. कहते हैं अपने संघर्ष के दिनों में राजेंद्र कुमार और धर्मेंद्र जैसे सुपरस्टार्स भी इसी लौज में रुका करते थे. जुबली स्टार राजेंद्र कुमार संघर्ष के दिनों में जब इस गेस्ट हाउस में रुका करते थे तब वो एक खाट पर सोया करते थे. जब राजेंद्र कुमार सुपरस्टार बन गए तो उनके साथ-साथ वो खाट भी स्टार बन गई. 1960 में जब राजेंद्र कुमार को बॉलीवुड में काम मिलने लगा और उनकी फिल्में एक के बाद एक सुपरहिट होती चली गई तब वो बन गए हिंदी सिनेमा के जुबली कुमार, राजेंद्र कुमार के साथ-साथ उनकी इस्तेमाल की गई खाट भी स्टार बन गई, क्योंकि वो भी जुबली कुमार की खाट के नाम से मशहूर हो चुकी थी. दरअसल, बॉम्बे गेस्ट हाउस के मालिक, स्ट्रगल कर रहे एक्टर्स को उस खाट को किराए पर लेने के लिए कहते थे जिस पर कभी राजेंद्र कुमार सोया करते थे. गेस्ट हाउस के मालिक का कहना था कि राजेंद्र कुमार इस खाट पर सोने की वजह से ही जुबली कुमार बने और इतना बड़ा बंगला खरीद सके. एक्टर बनने के लिए मुंबई आए लोगों को भी यही लगने लगा था कि शायद, इसी खाट पर सोने से उनकी किस्मत बदल सकती है. आपको बता दें कि राजेंद्र कुमार ने अपने लंबे फिल्मी करियर में बहुत सी सुपरहिट फिल्में दीं. वहीं 60 के दशक में उनकी कई फ़िल्में सिनेमाघरों में सिल्वर जुबली मनाती थीं, इसी वजह से उन्हें जुबली कुमार के नाम से भी बुलाया जाता था. इन फिल्मों में 'बिन फेरे हम तेरे','साजन बिना सुहागन','गंवार', 'कानून',और 'गूंज उठी शहनाई' जैसी फिल्में शामिल हैं.