Shershaah ki Veer Daastaan: शेरशाह (Shershaah) यानी शेरों का भी बादशाह... जिसकी ताकत का अंदाजा उसके नाम से ही लग जाता है. फौलादी जिगर और पहाड़ सी मजबूती जिसे न कोई तोड़ सकता है ना हरा सकता है. ऐसे ही तो थे हमारे जाबांज विक्रम बत्रा. जिनके हौसलों के आगे डर कांपता था. तभी तो इन्हें मिला था शेरशाह का तमगा. जब ये कोडवर्ड उन्हें मिला तब शायद कोई ही जानता होगा कि यही कोडवर्ड शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा (Captain Vikram Batra) की दूसरी पहचान बन जाएगा. आज शेरशाह भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी शेरों सी बहादुरी के किस्से आज भी अनगिनत हैं. सिद्धार्थ मल्होत्रा (Sidharth Malhotra) ने फिल्म में हमें उन किस्सों से रूबरू करवा दिया और अब एक बार फिर सुनाई है शेरशाह की दास्ता अपनी जुबानी.


सुनिए शेरशाह की दास्तां
एक बच्चा जिसने बचपन में ही तय कर लिया था कि उसे क्या करना है. रंग ढंग देखकर पिता को लगता है गुंडा बनेगा लेकिन उसके ख्याल तो कहीं और ही उड़ान भर रहे थे और उसने अपनी उस उड़ान को क्षण भर के लिए भी लक्ष्य से हटने नहीं दिया. बाली उम्र में जो सपना देखा वो महज शौक नहीं था बल्कि उस बच्चे का जुनून था. वो बच्च था विक्रम बत्रा. यानी करगिल का हीरो. आज की नौजवान पीढ़ी ने विक्रम बत्रा का केवल नाम सुना था लेकिन शेरशाह ने उस विक्रम बत्रा से रूबरू करवा दिया. बता दिया असली हीरो कौन होता है और कैसा होता है. फिल्म देखकर केवल गर्व से सीना चौड़ा ही नहीं होता बल्कि मस्तिष्क भी अपनी सीमाओ से परे जाकर सोचने को मजबूर हो जाता है कि हमने देश और इस देश की रक्षा करने के लिए अब तक क्या किया है? फिल्म तो दमदार है ही लेकिन अब सिद्धार्थ मल्होत्रा की आवाज में शेरशाह की दास्तां भी सुनने को मिली है जो बहुत खूब है.






इस कविता की एक पंक्ति है- Yeh Dil Maange More था उसका फितूर, कोई आंख उठाकर देख ले उसके वतन को ये उसे नहीं था मंजूर. विक्रम बत्रा न हर बार इस कथन को सिद्ध किया था. देश, देश की आन, देश की बान...इससे आगे न विक्रम बत्रा ने कुछ सोचा, ना किया. देश के लिए जीए और इसी मिट्टी की गोद में सो गए. हमेशा हमेशा के लिए. जहां विक्रम बत्रा शहीद हुए उस बत्रा टॉप की मिट्टी को आज भी उनके परिवार ने संभाल कर रखा है.  


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