When Lata Mangeshkar and Dilip Kumar did not talk to each other for 13 years: बॉलीवुड के सुपरस्टार दिलीप कुमार (Dilip Kumar) ने 60 के दशक में अपनी बेहतरीन अदाकारी से हमेशा ही फैंस को अपना दीवाना बनाया. उन्होंने फिल्म 'ज्वार भाटा' से फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा था. वहीं, सुरों की मलिका कहलाने वाली मशहूर सिंगर लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) को दिलीप कुमार (Dilip Kumar) अपनी छोटी बहन की तरह मानते थे.


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) उन्हें राखी भी बांधती थीं. हालांकि, एक समय ऐसा भी आया कि दिलीप कुमार (Dilip Kumar) और लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) ने एक-दूसरे से बात भी करना बंद कर दी थी. वो भी 1-2 साल के लिए नहीं बल्कि दोनों ने लगभग 13 सालों आपस में बात नहीं की थी. 






मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, फिल्म 'मुसाफिर' जो साल 1957 में आई थी. सलिल चौधरी ने इसके गाने 'लागी नाहीं छूटे' के लिए दिलीप कुमार को चुना, लेकिन लता मंगेशकर जो इस गाने में अपनी आवाज़ देने वाली थीं उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी. जब उन्हें इस बारे में पता चला तो वो सोचने लगीं कि दिलीप गाना गा भी सकेंगे? वहीं, दिलीप कुमार गाने की प्रेक्टिस में लग गए. लेकिन रिकॉर्डिंग के समय वो लता मंगेशकर के साथ गाते हुए घबरा रहे थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सलिल ने उनकी घबराहट कम करने के लिए दिलीप को ब्रांडी का एक पेग पिला दिया. इसके बाद उन्होंने गाना तो गा लिया लेकिन आवाज़ सही नहीं बैठी. 






लता मंगेशकर ने गाना हमेशा की तरह बेहतरीन गाया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस रिकॉर्डिंग के बाद से ही दिलीप कुमार और लता मंगेशकर के बीच मतभेद शुरू हो गए थे. कहा जाता है दोनों ने 13 सालों तक एक-दूसरे से ठीक से बात नहीं की थी. फिर साल 1970 में ये सिलसिला खत्म हुआ जिसके बाद लता मंगेशकर ने सुपरस्टार को राखी भी बांधनी शुरू कर दी थी. 


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