नई दिल्ली: इस समय पूरे देश में कोरना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन है. भारत में कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. देश में कोरोना के मरीजों की संख्या 5865 हो गई है. वहीं, इस संक्रमण की चपेट में आने से अब तक 169 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि 478 लोग ठीक हो गए हैं. ऐसे में लोग घरों में रहे इसलिए सरकार लॉकडाउन के साथ पुराने टीवी सीरिल्यस को दूरदर्शन पर री-टेलीकास्ट कर रही है. ऐसे में लोगों की डिमांड पर 'रामायण' को री-टेलीकास्ट किया जा रहा है. इन दिनों 'रामायण' टीवी पर बेहद देखी जा रही है और लोगों को बेहद पसंद भी आ रही है. 'रामायण' टीवी पर टीआरपी के नए रिकॉर्ड कायम कर रही हैं.

इस वक्त 'रामायण' की मेकिंग से जुड़े कई किरदार और दिलचस्प किस्से भी चर्चा का केंद्र बने हुए हैं. इन दिनों एक सवाल जो चर्चा का विषय बना हुआ है वो है रामानंद सागर की 'रामायण' आखिर कैसे बनी. ये सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि उस वक्त इस तरह की सीरीज का चलन नहीं था और किसी भी नई चीज पर पैसे लगाने के लिए प्रोड्यूसर तैयार नहीं थे. तो रामानंद सागर ने 'रामायण' के लिए फंड कैसे एकत्र किया. तो आज हम आपको इसी सवाल का जवाब देते हैं आखिर यह सब कैसे संभव हुआ.

रामानंद सागर बड़े पर्दे पर एक सफल फिल्म मेकर के तौर अपनी पहचान कायम कर चुके थे. अब वह राम की लीला को छोटे पर्दे पर उतारना चाहते थे. जब रामानंद सागर के मन में 'रामायण' बनाने का विचार आया तो उन्हें शुरुआती वक्त में फंड एकत्र करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा. उनके इस आइडिया पर कोई भरोसा जताने के लिए राजी नहीं हुआ.

हालांकि रामानंद सागर ने हार नहीं मानी और उन्होंने फैसला किया कि वह 'रामायण' बनाकर रहेंगे. उन्होंने वर्ष 1986 में 'विक्रम बेताल' नाम का एक शो शुरू किया. उनका ये शो छोटे पर्दे पर काफी हिट साबित हुआ. इस बात का फायदा ये हुआ कि रामानंद सागर को 'रामायण' के लिए फाइनेंसर्स मिलने स्टार्ट हो गए. जिसके बाद 'रामायण' को बनाया गया.

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